मप्र के सबसे विकसित औद्योगिक क्षेत्रों में शुमार मंडीदीप इंडस्ट्रियल एरिया अब नए निवेशकों के लिए ज्यादा उम्मीद नहीं जगा पा रहा है। लगभग 1100 हेक्टेयर में फैले इस क्षेत्र में अब जमीन लगभग खत्म हो गई है। इसका नतीजा यह है कि यहां निवेश की इच्छा रखने वाले कई उद्योग समूह निराश होकर लौट चुके हैं तो कुछ यहां से बाहर निकलकर नए प्लांट लगा चुके हैं।
पिछले 1 साल में ही करीब 4000 करोड़ रुपए का निवेश बाहर चला गया है। उद्योगपतियों का कहना है कि नई इकाइयों के लिए करीब 450 एकड़ जमीन की और जरूरत है।
मप्र औद्योगिक विकास निगम (एमपीआईडीसी) औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार की कोशिश में है। आशापुरी क्षेत्र में 200 हेक्टेयर सरकारी जमीन लेने का प्रस्ताव बना, पर बाद में पता चला कि इसकी 90% जमीन पर वन विभाग का आधिपत्य है। वहीं, वन विभाग की 16 हेक्टेयर जमीन को लेने के लिए प्रक्रिया लगभग हो चुकी है।
केंद्र से इसकी अनुमति ली जाएगी। इसी तरह वन विभाग की ही एक अन्य 161 एकड़ जमीन के लिए भी चर्चा जारी है, हालांकि इसके लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
ये बड़े निवेशक लौटे...
सीजी पावर ने 1000 करोड़ व जेबीएम समूह ने 123 करोड़ के निवेश के लिए जमीन देखी थी, पर जमीन नहीं मिली। बाद में सीजी पावर को सीहोर में तो जेबीएम को तामोट में जमीन दी गई। {पतंजलि समूह (पूरे प्रदेश में 5000 करोड़ निवेश) ने भी जमीन देखी थी, पर नहीं मिली। {मंडीदीप में सालों से स्थापित एचईजी हाल ही में नया प्लांट(1000 करोड़ निवेश) देवास में लगा चुका है। {पीएंडजी को नए प्लांट के लिए तेलंगाना जाना पड़ा। {मंडीदीप में काम कर रहा वॉल्वो आइशर बगरौदा में नया प्लांट लगा चुका है।
एग्जिट पॉलिसी लाए सरकार...
एसोसिएशन ऑफ आल इंडस्ट्रीज मंडीदीप के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल इसका समाधान बताते हुए कहते हैं कि क्षेत्र में लगभग 200 उद्योग बंद पड़े हैं। इनसे जमीन वापस ली जा सकती है। इसके लिए सरकार को सरल एग्जिट पालिसी लानी चाहिये। फ्लैटेड काम्प्लेक्स और पीपीपी मोड पर इंडस्ट्री पार्क अच्छे विकल्प हैं। लेकिन, नई इकाइयों के लिए करीब 450 एकड़ जमीन की और जरूरत है।