भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों की सालाना परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) की प्रक्रिया जून में शुरू होनी है। आईएफएस के लिए सेल्फ अप्रेजल रिपोर्ट भरने की अंतिम तारीख 30 जून है। राज्य सरकार को इससे पहले ही पीएआर के नए नियम बनाने होंगे।
पिछले साल 29 जून 2024 के सरकारी आदेश के आधार पर यदि किसी आईएफएस अधिकारी की अप्रेजल रिपोर्ट किसी आईएएस अधिकारी द्वारा भरी गई है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट के बुधवार के आदेश के आधार पर शून्य माना जाएगा। इन्हें ऐसी पीएआर को फिर से नए नियमों के तहत भरना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गोदावर्मन केस में सुनवाई के दौरान मप्र सरकार के 29 जून 2024 के आदेश को बदलते हुए वरिष्ठ आईएफएस अफसरों से अधिकार छीनकर आईएएस अफसरों को सौंप दिए थे। इसमें एसीएफ, डीएफओ, सीएफ, सीसीएफ और एपीसीसीएफ के एपीआर लिखने के वन बल प्रमुख (पीसीसीएफ) के अधिकार विभाग के प्रमुख सचिव या अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अपने पास ट्रांसफर कर लिए थे। जिलों में पदस्थ आईएफएस अफसरों की एपीआर पर कलेक्टर और संभागायुक्त से टिप्पणी लेने की भी व्यवस्था बनाई गई थी।
एक सीनियर आईएफएस अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यदि एक माह के भीतर राज्य शासन एपीआर के नए नियम जारी नहीं करता या 29 जून 2024 से पहले लागू नियमों को बहाल नहीं करता है, तो राज्य शासन को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का सामना करना पड़ेगा। मप्र में आईएफएस की स्वीकृत संख्या 180 है, इनमें से 122 कार्यरत हैं। जबकि 39 केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
तीन चरणों में भरी जाती है एपीआर एपीआर भरने की प्रक्रिया तीन चरणों में होती है। पहले चरण में 1 से 30 जून के बीच सभी अधिकारी खुद ही अपनी सालाना परफॉर्मेंस को लेकर सेल्फ अप्रैजल रिपोर्ट भरेंगे। इसके बाद अगले एक माह यानी 1 जुलाई से 31 जुलाई के बीच रिपोर्टिंग अथॉरिटी (वरिष्ठ अधिकारी) उसका रिव्यू कर अपने कमेंट देंगे।
इसके बाद अगले एक माह के भीतर रिपोर्टिंग अथॉरिटी से वरिष्ठ स्तर के अधिकारी, जो एक्सेप्टिंग अथॉरिटी होते हैं, उसे स्वीकार करेंगे। अफसरों के प्रमोशन और बड़ी जिम्मेदारियां देने में पीएआर की अहम भूमिका होती है। इसलिए एक माह के भीतर एपीआर के नए नियम बनाए जाएंगे।