लोकायुक्त संगठन में पदस्थ अफसरों पर जांच प्रभावित करने और सरकार द्वारा रसूखदार लोगों की जांच की निगरानी कराने की शिकायत मुख्य सचिव अनुराग जैन से की गई है। इसके चलते जैन ने सामान्य प्रशासन विभाग को पूरे मामले की जांच कराने के लिए कहा है। विभाग ने इसके लिए वित्त विभाग और लोकायुक्त संगठन को पत्र लिखकर जांच के लिए कहा है।
ताजा मामला लोकायुक्त संगठन में उप संचालक वित्त के पद पर की गई विनोद मालवीय की पदस्थापना से जुड़ा है। अपनी शिकायत में आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा है कि एमपी लोकायुक्त एक्ट में मुख्यमंत्री, मंत्री समेत अफसरों के विरुद्ध जांच के अधिकार लोकायुक्त संगठन को हैं। संगठन की निष्पक्ष और बगैर किसी दबाव के जांच करने की प्रक्रिया से ही उच्च पदस्थ लोगों के विरुद्ध कार्यवाही हो सकती है। भोपाल में पांच माह पहले जब्त किए गए 50 किलो से अधिक सोने और करोड़ों रुपए की नकदी के भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त पुलिस जांच कर रही है और प्रदेश के कई रसूखदार जांच के दायरे में हैं।
दुबे का आरोप, लोकायुक्त की निगरानी करा रही सरकार
दुबे ने कहा कि लंबे समय के बाद लोकायुक्त संगठन में स्वच्छ छवि के रिटायर्ड जस्टिस एसके सिंह की नियुक्ति हुई है। जानकारी में आया है कि लोकायुक्त द्वारा लोकायुक्त संगठन में पदस्थापना से संबंधित सिफारिशों को राज्य सरकार दरकिनार कर रही है। लोकायुक्त संगठन द्वारा चाहे गए अफसरों की गोपनीय रिपोर्ट और ग्रेडिंग संगठन को उपलब्ध नहीं कराई जा रही। दुबे का आरोप है कि लोकायुक्त संगठन की निगरानी और जांच प्रभावित करने सरकार अपने खास वफादार और गुप्तचरी में माहिर अफसरों को लोकायुक्त संगठन में पदस्थ कर रही है।
लोकायुक्त ने पैनल की जानकारी मांगी तो नहीं दी
दुबे का कहना है कि लोकायुक्त संगठन द्वारा अफसरों की पदस्थापना को लेकर कई पत्र लिखे गए। 18 मार्च 2025 को प्रमुख सचिव वित्त मनीष रस्तोगी को लिखे पत्र में अफसरों के पैनल के बारे में गोपनीय जानकारी मांगी गई। इसका जवाब नहीं दिया गया। वित्त विभाग ने अपनी मर्जी से लोकायुक्त संगठन में उप संचालक वित्त के पद पर विनोद मालवीय की पदस्थापना कर दी। दुबे ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में इसकी जांच कराने और दोषियों को दंडित करने की मांग की है। इसके बाद मुख्य सचिव ने पूरे मामले की जांच के लिए जीएडी को निर्देश जारी किए हैं।
वित्तीय सलाहकार की भूमिका लोकायुक्त में गंभीर
अजय दुबे का कहना है कि लोकायुक्त संगठन में पदस्थ होने वाले वित्त अफसरों की भूमिका वित्तीय मामलों में गंभीर होती है क्योंकि ये करप्शन के मामले में वित्तीय गड़बड़ी पकड़ने का काम करते हैं। जो अधिकारी पदस्थ किए गए वे लोकायुक्त द्वारा भेजे गए तीन नामों के पैनल में शामिल नहीं थे। इसके अलावा वित्त विभाग ने वित्त अफसर की पदस्थापना के साथ उसकी गोपनीय चरित्रावली लोकायुक्त संगठन को नहीं भेजी है।