भारत में G20 शिखर सम्मेलन की सफलता पर क्या बोला इंटरनेशनल मीडिया, जानें किसने क्या लिखा
Updated on
11-09-2023 01:53 PM
वॉशिंगटन/लंदन: अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने रविवार को कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों को दूर करते हुए सदस्य देशों के शनिवार को नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन को अपनाया जाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए एक अप्रत्याशित सफलता है। हालांकि, इसमें यूक्रेन पर रूस के हमले का जिक्र करने से परहेज किया गया। मीडिया के अनुसार, ऐसा लगता है कि अंतिम समझौता वक्तव्य में अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा रूस को लेकर अपनाये गये रुख की तुलना में कहीं अधिक नरम रुख अपनाया गया है।
20 के साझा घोषणापत्र पर भारत ने बनाई सहमति
भारत ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ वार्ताओं के जरिये यूक्रेन के विवादास्पद मुद्दे पर जी20 देशों के बीच एक अप्रत्याशित आम सहमति बनाने में कामयाब रहा। नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं के बीच घोषणापत्र को लेकर सहमति बनी। घोषणापत्र में जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास पर साझा विचार रखे गये, लेकिन इसमें यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने से बचा गया।
शनिवार शाम को नयी दिल्ली में जी20 समूह के शिखर सम्मेलन में गहन चर्चा के बाद घोषित घोषणापत्र में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण या उसके क्रूर युद्ध आचरण की निंदा नहीं की गई, बल्कि यूक्रेनी लोगों की पीड़ा पर दुख जताया गया। अखबार ने कहा है कि इस साल कम ही उम्मीद थी कि समूह यूक्रेन के मुद्दे पर किसी तरह की सहमति पर पहुंच पाएगा।
शिखर सम्मेलन के दौरान भारत को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ने के लिए एक रेल और नौवहन गलियारा परियोजना की घोषणा पर भी प्रकाश डाला है। इसने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शिखर सम्मेलन के दौरान अपना अधिकतर समय नरेन्द्र मोदी के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने में बिताया। अखबार ने विदेश नीति के दिग्गज रिचर्ड एन. हास के हवाले से कहा, ''पिछले राष्ट्रपतियों की तरह, बाइडन भी भारत को करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं।''
'सीएनएन' ने कहा, ''अंततः घोषणापत्र शिखर सम्मेलन के मेजबान भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए अप्रत्याशित सफलता के समान है। लेकिन, फिर भी यह अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से अपनाई गई स्थिति से कहीं अधिक नरम रुख को दर्शाता है।''
बीबीसी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि घोषणापत्र पश्चिम और रूस दोनों को सकारात्मकता खोजने का रास्ता दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन, इस प्रक्रिया में उसने मॉस्को की निंदा में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया है जो उतनी कड़ी नहीं है जितनी पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में की गई थी।
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