चीन के दुश्मनों को 6th जेनरेशन फाइटर जेट से पाट देना चाहता है जापान? भारत के पार्टनर को दिया GCAP विमान का ऑफर
Updated on
12-05-2025 02:45 PM
टोक्यो: क्या जापान चीन के दुश्मनों को छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों से पाट देना चाहता है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि भारत के बाद जापान ने एक और दोस्त देश को छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान का ऑफर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, जापान अपने अगली पीढ़ी के विमानों को ऑस्ट्रेलिया को निर्यात करने पर विचार कर रहा है, जिसे वह ग्लोबल एयर कॉम्बैट प्रोग्राम (GCAP) के तहत यूके और इटली के सहयोग से विकसित कर रहा है। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक टोक्यो ने कथित तौर पर पिछले महीने भारत को GCAP कार्यक्रम में आमंत्रित किया था। जापान की निक्केई एशिया और यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि जापान ने भारत को GCAP में शामिल होने का प्रस्ताव दिया हैय़ इसके अलावा रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि भारत के साथ साथ कनाडा ने भी नेक्स्ट जेनरेशन जेट के निर्माण में दिलचस्पी दिखाई है।
हालांकि जापान सरकार ने आधिकारिक तौर पर अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है, लेकिन यह कोई रहस्य नहीं है कि जापान और अन्य भागीदार GCAP कार्यक्रम में और ज्यादा भागीदारों को आमंत्रित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे है। ये एक विशालकाय प्रोजेक्ट है, जिसमें भारी-भरकम खर्च आने वाला है और इनमें से किसी एक देश के लिए अकेले छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाना काफी मुश्किल था। जिसे देखते हुए ही जापान की कैबिनेट ने मार्च 2024 में रक्षा उपकरणों के नियमों को लेकर बनाए गये काफी सख्त नियमों को आसान कर दिया, जिससे अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्यात का रास्ता साफ हो गया।
GCAP एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट क्या है? जापान, इटली और ब्रिटेन मिलकर छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहे हैं और प्रोजेक्ट का नाम GCAP यानि ग्लोबल एयर कॉम्बैट प्रोग्राम है। GCAP प्रोजेक्ट के तहत साल 2035 तक छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रोजेक्ट में BAE Systems (ब्रिटेन), Mitsubishi Heavy Industries (जापान) और Leonardo (इटली) जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस फाइटर जेट में मोस्ट एडवांस सेंसर, स्टील्थ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को शामिल किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक जापान ने उन 15 संभावित देशों की लिस्ट तैयार की है, जिसे हथियारों के निर्यात में उसे कोई आपत्ति नहीं है। इन देशों में अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, भारत और वियतनाम जैसे देश शामिल हैं।
आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका साथ QUAD का पार्टनर है। लिहाजा जापान ने ऑस्ट्रेलिया को 6th जेनरेशन फाइटर फाइटर जेट बेचने की पेशकश की है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया की तरफ से फिलहाल नहीं बताया गया है कि वो इस फाइटर जेट को खरीदने पर विचार करेगा या नहीं। लेकिन मार्च 2025 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित एवलॉन ऑस्ट्रेलियाई अंतर्राष्ट्रीय एयरशो के दौरान उसे इस प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी दी गई। उस वक्त रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना के लिए वायु सेना क्षमता के प्रमुख एयर वाइस मार्शल निकोलस होगन ने कहा था कि "यह एक सूचनात्मक ब्रीफिंग थी और हमने कुछ और जानकारी मांगी है।" उन्होंने कहा था कि "ब्रीफिंग मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया को यह समझाने के लिए थी कि हमें उस विमान के साथ कैसे काम करना पड़ सकता है।" हालांकि उन्होंने इससे ज्यादा इस प्रोजेक्ट पर बात नहीं की थी। आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका से 72 पांचवीं पीढ़ी के F-35 लाइटनिंग II विमान खरीदे हैं, जिसकी डिलीवरी पिछले साल दिसंबर से शुरू हो गई है।
भारत के लिए कितना अहम है ये प्रोजेक्ट? भारत अगर GCAP में शामिल होता है तो भविष्य में उसे छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान मिलेगें, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉम्बैट, स्टील्थ और ड्रोन स्वार्मिंग से लैस होंगे। भारत के पास फिलहाल ऐसे टेक्नोलॉजिकल प्लेटफॉर्मस की कमी है। भारत अपना फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट AMCA पर काम कर रहा है, जिसके भी 2035 तक बनेन की उम्मीद है। यानि इस प्रोजेक्ट में शामिल होने से 2035 के बाद भारत के पास पांचवीं और छठी, दोनों तरह के फाइटर जेट आ जाएंगे। ऐसं में AMCA को भविष्य में GCAP से अत्याधुनिक विदेशी टेक्नोलॉजी को एक्सपोजर मिल सकता है। इसके अलावा ब्रिटेन, जापान और इटली, ये तीनों इंडो-पैसिफिक में भारत के रणनीतिक साझेदार हैं और इस प्रोजेक्ट से सहयोग और मजबूत होगा। लिहाजा अगर GCAP प्रोग्राम में भारत शामिल होता है तो उसे चीन के खिलाफ एक टेक्नोलॉजिकल डिप्लोमेटिक प्लेटफॉर्म बनाने में कामयाबी मिल जाएगी। इसके अलावा इससे भारत की अमेरिकी हथियारों पर भी निर्भरता काफी कम हो जाएगी।
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