भारत के लिए ढाल बना S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, पाकिस्तान का हर वार नाकाम, क्या रूस से S-500 खरीदने का टाइम आ गया?
Updated on
12-05-2025 02:49 PM
मॉस्को/नई दिल्ली: आतंकवाद के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर में रूसी एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 पाकिस्तानी खतरों के खिलाफ ढाल बनकर खड़ा रहा है। एस400 ट्रायम्फ, बराक 8 MRSAM (मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) और स्वदेशी आकाश ने पाकिस्तानी मिसाइलों को भारत की जमीन पर गिरने नहीं दिया। जिसके बाद से एस-400 डिफेंस सिस्टम की चर्चा पूरे भारत में हो रही है। भारत का बच्चा बच्चा इस डिफेंस सिस्टम के नाम और इसकी ताकत को जान चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रूस, एस-400 डिफेंस सिस्टम का बाप एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम भी बना चुका है, जिसकी क्षमता जानकर आप दंग रह जाएंगे। पाकिस्तान के खिलाफ इन डिफेंस सिस्टम ने काफी शानदार काम किया है लेकिन कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन के खिलाफ ये डिफेंस सिस्टम उतने प्रभावी नहीं हो पाएंगे।
पाकिस्तान के खिलाफ अचानक जंग का वातावरण बन गया। 21 अप्रैल तक जंग की कोई चर्चा भी नहीं थी। इससे पहले 2019 में भी पाकिस्तान के खिलाफ पुलवामा आतंकी हमले के बाद युद्ध की स्थिति बन गई थी और डोकलाम संघर्ष के बाद चीन से भी हालात काफी तनावपूर्ण बन गये थे। यानि पिछले कुछ सालों में कम से कम तीन बार जंग की स्थिति में फंसने की नौबत आ चुकी है। जो बताता है कि भारत को मजबूरी में सही, लेकिन अपने डिफेंस को और मजबूत करना होगा और अटैक को और धारदार करना होगा। लिहाजा हम आज एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम की बात करेंगे।
S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की क्षमता क्या है? S-500 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को सिर्फ एक डिफेंस सिस्टम कहना इसकी क्षमता के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा। दरअसल ये एक मल्टीलेयर्ड, मल्टी टारगेट और स्पेस-डिफेंस कैपेबल डिफेंस सिस्टम है। जिसका मतलब ये हुआ कि एस-500 दुश्मनों के फाइटर जेट्स, क्रूज मिसाइल्स, हाइपरसोनिक मिसाइल या कोई अन्य हथियार और यहां तक की पृथ्वी के लोअर-ऑर्बिट में मौजूद दुश्मनों के सैटेलाइट्स को भी मार सकता है। यानि अगर दुश्मन का सैटेलाइट किसी क्रिटिकल स्थल की जासूसी कर रहा हो, तो इससे उसे मार गिराया जा सकता है। धरती से ऊपर इसकी रेंज 2000 किलोमीटर है। इसके अलावा, एस-500 दुनिया का इकलौता डिफेंस सिस्टम है, जिसका रेंज 600 किलोमीटर है और ये एक सात 10 से ज्यादा लक्ष्यों को एक बार में इंटरसेप्ट कर सकता है और भी मैक-20 की रफ्तार से। हालांकि इतनी सारी क्षमताओं के रहने के बावजूद इसका प्राइमरी फोकस बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों को रखा गया है, क्योंकि दुनिया में अभी सिर्फ इन्हीं तरह की मिसाइलें मौजूद हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने साल 2018 में एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम का टेस्ट किया था। टेस्ट के समय एस-500 के साथ सबसे लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया गया था, जो कामयाब रहा था। एस-500 के पास 77N6-N और 77N6-N1 इंटरसेप्टर मिसाइलें हैं, जिससे ये परमाणु वारहेड को लेकर आने वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBN) को भी रास्ते में ही नष्ट कर सकती है और परमाणु बम फटने का खतरा खत्म हो सकता है। हकीकत ये है कि इस सिस्टम की क्षमता के बराबर फिलहाल अमेरिका के पास भी कोई डिफेंस सिस्टम नहीं है।
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