नई दिल्ली में चल रहे रायसीना डायलॉग 2025 के दूसरे दिन विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वैश्विक व्यवस्था में निष्पक्षता की जरूरत पर जोर दिया और पश्चिमी देशों के दोहरे मानकों पर सवाल उठाए।
'थ्रोन्स एंड थॉर्न्स: डिफेंडिंग द इंटेग्रिटी ऑफ नेशंस' सत्र में बोलते हुए, जयशंकर ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को वैश्विक नियमों की नींव बताया। उन्होंने कश्मीर मुद्दे का जिक्र करते हुए इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक का सबसे लंबा अवैध कब्जा करार दिया।
जयशंकर ने कहा,
हम संयुक्त राष्ट्र गए। एक आक्रमण को विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को एक ही श्रेणी में रख दिया गया। इसके लिए जिम्मेदार पक्ष कौन थे? ब्रिटेन, कनाडा, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका? इसलिए मुझे इस पूरे विषय पर कुछ सवाल हैं।
जयशंकर ने कहा, यह दिखाता है कि कैसे पश्चिमी ताकतों ने कश्मीर की वास्तविकता को तोड़-मरोड़कर पेश किया। उन्होंने राजनीतिक हस्तक्षेप पर पश्चिमी देशों के नजरिए पर भी सवाल उठाए।
जयशंकर के अलावा पैनल में लिचेंस्टीन की विदेश मंत्री डोमिनिक हसलर, स्लोवाक रिपब्लिक के विदेश मंत्री जुराज ब्लानर, स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री कार्ल बिल्ड्ट भी शामिल हुए।
न्यूजीलैंड PM ने सत श्री अकाल से शुरू किया संबोधन
इससे पहले कल कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10वें रायसीना डायलॉग के उद्घाटन में शामिल हुए। इस दौरान न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने बतौर चीफ गेस्ट समिट को संबोधित किया। 3 दिन का यह सम्मेलन 19 मार्च तक चलेगा।
न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री लक्सन ने समिट को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नमस्कार, सत श्री अकाल! बोलकर लोगों को संबोधित किया। लक्सन ने चैंपियंस ट्रॉफी में जीत के लिए भारत को बधाई दी।