एलन मस्क के न्यूरालिंक को क्लिनिकल ट्रॉयल की मंजूरी, इंसान के दिमाग में लगाएंगे माइक्रो चिप
Updated on
21-09-2023 12:54 PM
वॉशिंगटन: एलन मस्क के न्यूरालिंक को क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी मिल गई है। न्यूरालिंक ने बताया है कि उसने अपने डिवाइस के पहले ह्यूमन ट्रायल के लिए मरीजों की भर्ती शुरू कर दी है। एक स्वतंत्र समीक्षा बोर्ड ने न्यूरालिंक को डिवाइस की जांच के नाम पर क्लिनिकल ट्रायल की हरी झंडी दी है। कंपनी छह साल के अध्ययन में अपने एक्सपेरिमेंटल डिवाइस का परीक्षण करने के लिए लकवाग्रस्त से पीड़ित लोगों की तलाश कर रही है। एलन मस्क ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर खुशी का इजहार किया है। उन्होंने लिखा कि पहले मानव मरीज को जल्द ही न्यूरालिंक डिवाइस मिलेगी। इसमें पूरे शरीर की गति को बहाल करने की क्षमता होती है। मस्क ने दो कदम आगे बढ़ते हुए दावा किया कि कल्पना कीजिए अगर स्टीफन हॉकिंग के पास यह होता।
न्यूरालिंक ने बनाया है ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस
न्यूरालिंक ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) विकसित करने वाली कई कंपनियों में से एक है जो मस्तिष्क के संकेतों को इकट्ठा कर उनका विश्लेषण कर सकती है। न्यूरालिंक के मालिक एलन मस्क ने अपनी कंपनी का खूब बढ़ा चढ़ाकर प्रचार किया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी डिवाइस के जरिए मनुष्य आर्टिफिशियल इटेलिजेंस के साथ तालमेल बैठा करेगा और इससे एक ब्रेन कंप्यूटर विकसित होगा। मस्क के इन दावों पर कई विशेषज्ञों ने संदेह जताया है। दुनियाभर के न्यूरोसाइंटिस्ट और एक्सपर्ट्स ने न्यूरालिंक की इस ह्यूमन ट्रायल को लेकर चिंता जताई है।
डिवाइस के टेस्टिंग के लिए मिली है मंजूरी
पिछले साल अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने तेजी से ह्यूमन ट्रायल करने के कंपनी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। लेकिन, मई में एक इन्वेस्टिगेशनल डिवाइस एक्जेम्शन (आईडीई) के लिए न्यूरालिंक को मंजूरी दे दी। इससे न्यूरालिंक को अपने एक डिवाइस को क्लिनिकल ट्रायल के लिए इस्तेमाल करने की इजाजत मिल गई। एजेंसी ने यह खुलासा नहीं किया है कि उसकी शुरुआती चिंताओं का समाधान कैसे किया गया।
कैसे रोगियों की तलाश कर रहा न्यूरालिंक
न्यूरालिंक का कहना है कि वह वर्टिकल रीढ़ की हड्डी की चोट या एएलएस के कारण क्वाड्रिप्लेजिया वाले रोगियों की तलाश कर रहा है। इस ट्रायल में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों के मस्तिष्क के एक क्षेत्र में एक रोबोट का इस्तेमाल करके सर्जरी के जरिए ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस नाम की डिवाइस को प्रत्यारोपित किया जाएगा। यह डिवाइस उन्हें केवल अपने विचारों का उपयोग करके कंप्यूटर कर्सर या कीबोर्ड को नियंत्रित करने में सक्षम बनाएगा। एक बयान के अनुसार, यह अध्ययन टेक्नोलॉजी की सुरक्षा और कार्यक्षमता का मूल्यांकन करेगा।
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