पॉजिटिव नजरिया
वर्कप्लेस पर ऐसा माहौल तैयार करने की जरूरत है, जिसमें कर्मचारी बिना किसी अंदेशे के अपने विचार साझा कर सकें। ऐसा माहौल सबके लिए फायदेमंद होता है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें सहज माहौल में बातचीत के जरिए दफ्तरों के अंदर के कई जटिल मसले आसानी से हल कर लिए गए। काम करने में आजादी महसूस करना भी पॉजिटिव माहौल के लिए आवश्यक होता है। जब कोई कर्मचारी स्वतंत्र रूप से काम करता है, तो वह अपना पूरा प्रयास लगाता है। ऐसे में उसका प्रदर्शन तो अच्छा होता ही है, मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी इसके फायदे मिलते हैं।मनोवैज्ञानिक सुरक्षा
मनोवैज्ञानिक सुरक्षा का मतलब है, कर्मचारी वर्कप्लेस पर मानसिक रूप से अपने आपको स्वस्थ महसूस कर सकें। ऐसा सिस्टम विकसित करने की जरूरत है कि कर्मचारियों में किसी प्रकार का तनाव न हो। वे खुद को दबाव में न महसूस करें। जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से आश्वस्त रहता है, तो उसमें अपमान या शर्म महसूस करने जैसी बात नहीं होती। वर्कप्लेस में ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रबंधकों और टॉप लीडर्स को विशेष प्रयास करने चाहिए।बातचीत में सम्मान
वर्कप्लेस पर कई बार कर्मचारियों से बुरा व्यवहार किया जाता है। उनके लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे कर्मचारियों से तुलना कर उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास होता है। इनसे पॉजिटिव नतीजे मिलना मुश्किल है। इसके बदले बातचीत के जरिए गुणवत्ता में सुधार की तरफ ध्यान देना ज्यादा कारगर हो सकता है। सहज और सम्मानजनक बातचीत से कर्मचारी और मालिक के बीच एक जुड़ाव बनता है। इससे कर्मचारियों को प्रोत्साहन मिलता है।अनुभवों का आदान-प्रदान
समझने वाली बात यह है कि सिर्फ परफॉरमेंस के लिए जोर लगाना महत्वपूर्ण नहीं होता है। कर्मचारियों के अनुभवों के आदान-प्रदान से बड़ी-बड़ी चुनौतियों से पार पाया जा सकता है। 2021 में McKinsey Health Institute के एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि हर 10 में से 4 भारतीय कर्मचारी गुस्सा, तनाव, चिंता और अवसाद की समस्या का सामना करते हैं। 90% मामलों में इसके पीछे वर्कप्लेस का विषाक्त माहौल और बिगड़ा वर्क कल्चर जिम्मेदार पाया गया है।डिप्रेशन और एंग्जाइटी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2019 में काम करने वाले 15% वयस्कों में मानसिक विकार पाया गया। हर साल डिप्रेशन और एंग्जाइटी के कारण लगभग 12 अरब वर्किंग डे काम प्रभावित होते हैं। दूसरे शब्दों में इससे पूरी दुनिया में सालाना एक ट्रिलियन डॉलर (8,396.78 अरब रुपये) का नुकसान हुआ। इन सबसे बचने के लिए मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मिथकों और गलत धारणाओं को तोड़ने की जरूरत है।अनुभव की कद्र
कार्यस्थल पर जितना महत्व व्यक्तिगत अनुभव का है, उससे कम सिस्टम का नहीं है। ये दोनों बातें कर्मचारियों के तनाव को कम करने में मददगार हैं। हर व्यक्ति चाहता है कि उसे मानसिक प्रताड़ना नहीं झेलनी पड़े। जैसे ही वह समझ लेता है कि उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला कोई नहीं है, वहां काम करने का माहौल खुद ब खुद बन जाता है। अगर किसी व्यक्ति को लगे कि उसके अनुभवों और विचारों की कद्र की जा रही हो तो वह अपने कार्य को ज्यादा गंभीरता से लेने लगता है।बेहतरीन टीम, अच्छा माहौल
वर्कप्लेस पर मानसिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहतरीन टीमों का निर्माण करना जितना जरूरी है, उतना ही महत्वपूर्ण है सुरक्षित स्थान, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सांस्कृतिक समरसता और स्वस्थ माहौल सुनिश्चित करना। यदि कंपनियों को अच्छे कर्मचारियों की तलाश है, तो उन्हें उन कर्मचारियों के लिए मानसिक सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी ध्यान देना होगा।(डॉ. पारिख सीनियर सायकायट्रिस्ट और कामना सीनियर क्लिनिकल सायकॉलजिस्ट हैं)