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बिना सर्जरी पुरुषों की यौन समस्याओं का इलाज संभव:​​​​​​​एम्स में शॉकवेव थेरेपी से खुली नई राह, यह पारंपरिक इलाज से आसान होगी

Updated on 08-05-2025 02:04 PM

पुरुषों में यौन दुर्बलता और संबंधित अंग संबंधी बीमारियों के इलाज में अब एक नई, वैज्ञानिक और गैर पारंपरिक तकनीक सामने आई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में पुरुषों की यौन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए लो-इंटेंसिटी एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल शॉकवेव थेरेपी को प्रयोग में लाया जा रहा है। यह तकनीक न केवल गैर सर्जिकल है, बल्कि इसके परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं।

यह जानकारी एम्स भोपाल के यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केतन मेहरा ने एक हालिया चिकित्सा संवाद में दी। उन्होंने बताया कि अब तक दवाओं और सर्जरी पर निर्भर रहे पुरुषों के लिए यह थेरेपी एक बिना दर्द, बिना खतरे और बिना दवा वाला विकल्प बन रही है।

क्या है शॉकवेव थेरेपी शॉकवेव थेरेपी मूल रूप से किडनी स्टोन (पथरी) तोड़ने के लिए विकसित की गई थी। इसमें शरीर के बाहरी हिस्से से विशेष तरंगें (शॉकवेव) भेजी जाती हैं जो अंदर जाकर कोशिकाओं को उत्तेजित करती हैं। लो इंटेंसिटी शॉकवेव थेरेपी में बेहद हल्की तीव्रता की तरंगें संबंधित अंग की रक्त वाहिकाओं (नस) और टिशु पर असर डालती हैं। यह तरंगें शरीर में नई रक्त नलिकाओं (नसों) का निर्माण। इससे में रक्त प्रवाह बेहतर होता है और प्राकृतिक रूप से उत्तेजना और कार्यक्षमता में सुधार आता है।

इनमें है असरदार

  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन:हल्के और मध्यम स्तर की यौन दुर्बलता के मामलों में यह थेरेपी सबसे ज्यादा असरदार पाई गई है। रिसर्च में ऐसे कई मरीजों ने बिना किसी दवा के ही सामान्य यौन जीवन की ओर वापसी की है।
  • पेरोनी रोग: इस रोग में संबंधित अंग में वक्रता (मोड़, झुकाव या टेढ़ापन) और दर्द होता है। थेरेपी के बाद कई मरीजों में प्लैक की सख्ती और दर्द में कमी देखी गई है। हालांकि लंबे समय में वक्रता में कितना सुधार होता है, उस पर अभी और शोध जारी है।

भविष्य की दिशा शोध से होगी तय एम्स भोपाल में इस तकनीक को लेकर एक व्यापक शोध जारी है। डॉ. मेहरा ने बताया कि परिणाम ऐसे ही सकारात्मक रहे, तो भविष्य में यह थेरेपी यौन स्वास्थ्य के क्षेत्र में गेमचेंजर बन सकती है। यह पुरुषों को न केवल इलाज का नया विकल्प देती है, बल्कि मानसिक बोझ और सामाजिक संकोच से बाहर निकालने में भी मदद करती है। डॉ. मेहरा के अनुसार, यह थेरेपी पूरी तरह सुरक्षित मानी गई है। इसमें न दवा दी जाती है और न ही किसी तरह की सर्जरी होती है, यह उनके लिए एक विकल्प है। जो पारंपरिक इलाज से थक चुके हैं या लंबे समय तक दवाएं नहीं लेना चाहते।



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