महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसला टल गया है। गुरुवार को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट से दोषियों को सजा सुनाने के लिए 31 जुलाई तक का समय मांगा है। माना जा रहा है कि अब एनआईए कोर्ट 31 जुलाई को फैसला सुनाएगा।
इससे पहले गुरुवार सुबह मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह समेत सभी आरोपी और पीड़ित कोर्ट पहुंचे। केस की मुख्य आरोपी भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर हैं। साध्वी के अलावा लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत कुल 12 आरोपी हैं, जिन पर आतंकी साजिश, हत्या, धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप हैं।
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में ब्लास्ट हुआ था। इसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 101 घायल हुए थे। शुरुआत में मामले की जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी। साल 2011 में केस नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया।
एनआईए ने प्रज्ञा सिंह समेत केस के आरोपियों को क्लीनचिट दे दी थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। अप्रैल 2025 में एनआईए ने यू-टर्न लेते हुए मुंबई की स्पेशल कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि आरोपियों को बेकसूर मानने की बात गलत है, उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
साध्वी ने कहा- सत्यमेव जयते पर मेरा विश्वास कोर्ट के बाहर प्रज्ञा ठाकुर ने कहा- आज डिसीजन होना था, ऐसा नहीं है। जज साहब ने तारीख दी थी। अगली तारीख में डिसीजन होगा, ये तय है। जज साहब ने कहा कि इसमें एक लाख से अधिक पेज हैं। बड़ा केस है। इसमें समय लगता है। किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। सबको न्याय मिले। अगली तारीख 31 जुलाई दी है। इसमें सभी को उपस्थित होना चाहिए।
ठाकुर ने कहा- सत्यमेव जयते पर मेरा पूर्ण विश्वास है। जिस व्यक्ति पर आरोप लगता है या तो वो जानता है या ईश्वर जानता है। सरकारी पक्ष की ओर से कैपिटल पनिसमेंट की मांग के सवाल पर प्रज्ञा ने कहा- एटीएस चाहती तो मेरी मुंडी उसी दिन मरोड़ देती। उनकी इतनी दुश्मनी है। पता नहीं क्यों है? मैं विधर्मियों के लिए उनकी दुश्मन हूं और हमेशा रहूंगी। जो देशविरोधी हैं...देश के गद्दार हैं, उनकी मैं दुश्मन हूं।
वकील बोले- 31 जुलाई को पता चल जाएगा कि कैसे फंसाया गया साध्वी प्रज्ञा सिंह के वकील जेपी मिश्रा ने बताया- 19 अप्रैल को केस आर्गुमेंट से क्लोज हुआ। कोर्ट ने आज 8 मई को केवल सभी आरोपियों को हाजिर रहने के लिए कहा था। सभी ने हाजिरी लगाई। दीदी (प्रज्ञा) भी मौजूद रहीं। अब 31 जुलाई को जजमेंट आएगा।
कोई सबूत हो या न हो, जो प्रॉसिक्यूट करता है, वह कहता है कि सबको सजा दो। हम कहते हैं, सबको छोड़ दो। कोर्ट सबूतों के आधार पर डिसाइड करता है कि छोड़ना है या सजा देना है। उन्होंने कहीं नहीं कहा कि कैपिटल पनिशमेंट दो। फांसी दो, कहीं नहीं है। 31 जुलाई को जजमेंट आएगा तो दुनिया को मालूम पड़ जाएगा कि कौन निर्दोष है और आरोपियों को कैसे फंसाया गया।
मिश्रा ने कहा- केस में 17 साल लगे, इसके लिए हम लोग जिम्मेदार नहीं हैं, प्रॉसिक्यूशन जिम्मेदार है। झूठा मकोका लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने मकोका कैंसिल किया। इसमें 8 साल लग गए। नौ-नौ साल तक लोगों को जेल में रखा गया। ये उस समय के एटीएस की बदमाशी थी, नहीं तो इतना समय नहीं लगता।
323 गवाहों में से 32 ने बदल दिए थे बयान नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने अदालत से आरोपियों के साथ किसी भी तरह की नरमी न बरतने का आग्रह किया था। हालांकि, सुनवाई के दौरान 323 गवाहों में से 32 ने अपने बयान वापस ले लिए थे।