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शाही लीची की गुणवत्ता में आई कमी, किसान-व्यापारी निराश, नहीं मिल रहे खरीददार

Updated on 06-06-2020 02:05 PM
मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची की रसभरी मिठास और स्वाद का खाने वालों सालभर इंतजार रहता है। लेकिन इस बार बाजार और बागों की शाही लीची में उस तरह की खुशबू और मिठास नहीं है जैसे पहले के सालों में रहा करती थी। किसानों और व्यापारियों में शाही लीची की गुणवत्ता में हुई कमी से निराशा है लेकिन राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र समय से पहले लीची को तोड़ने और बागों के सही प्रबंधन नहीं करने को इसके लिए जिम्मेवार बता रहे हैं। हरेक साल 20 मई तक शाही में मिठास और स्वाद आमतौर पर आता था लेकिन इस बार शाही लीची जून के पहले सप्ताह में भी खट्टापन बना हुआ है।
मुजफ्फरपुर के मुशहरी स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र से चंद किलोमीटर की दूरी पर लगे लीची बागान में पिछले सालों की तरह चहल पहल नहीं है। शाही लीची की अधिकांश खेप पेड़ से तोड़े जा चुके हैं लेकिन शाही लीची की पैदावार इस साल किसानों और व्यापारियों को निराश कर गई। शाही लीची के फल में न तो उस तरह की खुशबू है और न ही मिठास। किसान और व्यापारी हरेक साल की तरह 20 मई से पहले ही शाही लीची को बगीचे से तोड़ना शुरू कर दिया जबकि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र ने 30 मई के बाद ही शाही लीची की तुड़ाई करने के लिए कहा था लेकिन जिन किसानों के बागों में अब भी शाही लीची लगी हुई है उसमें न तो मिठास है और न हीं विशेष खुशबू। कोरोना बंदी में ठीक से बागों की देखभाल नहीं करने वाले किसानों को इस बार लीची की खेप बाहर भेजने पर कोई विशेष मुनाफा नहीं हो रहा है। मो. ताजुद्दीन और अब्दुल मालिद लीची व्यापारी हैं लेकिन इस साल राज्य से बाहर के बाजारों में खट्टी लीची और सुगंध नहीं मिलने से ग्राहकों की नाराजगी झेल रहे हैं। 25 से 30 फीसदी मुनाफा में इसके कारण कमी बता रहे हैं।
शाही लीची को लेकर मुजफ्फरपुर की पहचान है लेकिन बड़े किसानों द्वारा बागों का प्रबंधन व्यापारियों के हाथों में देने के कारण भी लीची की गुणवत्ता पर असर होने में सहायक है साथ ही राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के पास होने पर भी बड़े पैमाने पर किसानों का लाभ नहीं उठाना चिंता का कारण है। देश में एक लाख हैक्टेयर में में लीची की बागवानी है जिसमें 7 लाख 16 हजार टन लीची का उत्पादन होता है। बिहार में 32 हजार हैक्टेयर में 2 लाख 80 हजार टन लीची का उत्पादन होता है जिसमें से मुजफ्फरपुर में बड़े पैमाने पर शाही और चाईना किस्म के लीची का उत्पादन होता है। 

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