यूएई में COP 28 सम्मेलन में उभरेगा क्लाइमेट फाइनेंस का मुद्दा, जानें क्यों कह रहे हैं विशेषज्ञ
Updated on
17-10-2023 10:10 AM
डॉक्टर सीमा जावेद, नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन पर लगाम कसना अब जरूरत नहीं आवश्यकता बन चुका है। हालांकि इस काम के लिये दिन ब दिन 1.5 ̊C तक ग्लोबल वार्मिंग को सीमित रखने का रास्ता संकरा हो रहा है। क्लीन एनर्जी यानी सोलर और विंड एनर्जी में तेज़ी से हो रहा इजाफा इस संभावना को बनाये रखने में एक अहम भूमिका निभा रहा है। अपनी ऊर्जा की जरूरतों को जीवाश्म ईंधन की जगह पूरी तरह क्लीन एनर्जी में बदलने और डी कार्बोनाइजेशन के लिए विकासशील देशों की लिए क्लाइमेट फाइनेंस या जिसे जलवायु वित्त कह सकते हैं, बेहद जरूरी है।
उत्सर्जन को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है। बिना निवेश के एनर्जी ट्रांजिशन (यानी पारंपरिक कोयला से बनी बिजली को चरणबद्ध तरीक़े से धीमे-धीमे कम करते हुए इसकी जगह उत्सर्जन रहित साफ़ रिन्यूएबिल एनर्जी को स्थापित करना) और एडेप्टेशन यानि अनुकूलन दोनों ही के लिए क्लाइमेट फाइनेंस महत्वपूर्ण है। यह आने वाले दिनों में दुबई में आयोजित होने वाले COP28 के फ्रेमवर्क का एक प्रमुख पहलू होगा जिसपर बहस होगी।
जलवायु संकट के कारण क़र्ज़ से त्रस्त हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता, विकासशील देशों के लिए कम लागत वाले वित्तपोषण को तीन गुना करने के लिए प्रभावी तंत्र स्थापित करने और हाल के जलवायु संकट के कारण क़र्ज़ से त्रस्त और ग्रस्त / पीड़ित देशों के लिए ऋण राहत सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। जी20 देशों ने हाल के दिनों में जलवायु आपदाओं की वजह से लिए जाने वाले एडाप्टेशन और मिटिगेशन उधार / ऋण के लिए बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंकों की भी मांग की है।
अफ्रीकी महाद्वीप सहित सबसे बड़े ग्राहक देशों ने बहुपक्षीय वित्तीय सिस्टम / प्रणाली को निष्पक्ष और न्यायसंगत बनाने और महाद्वीप को जलवायु जनित आपदाओं के प्रति मज़बूत / रेसिलिएंट बनाने में मदद करने के लिए बहुपक्षीय वित्तीय सिस्टम में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है। दुनिया की 80% आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले 134 विकासशील और उभरते देशों के एक समूह ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय वास्तुकला / आर्किटेक्चर के व्यापक सुधार और वैश्विक वित्तीय प्रशासन के लिए अधिक समावेशी और समन्वित दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
अजय बंगा से दुनिया को काफी उम्मीदें विश्व बैंक के नए अध्यक्ष अजय बंगा जिन्होंने बस अभी ही अध्यक्षता के पहले 100 दिन पूरे किए हैं और अपनी पहली वार्षिक शेयरधारक बैठक में भाग लेने वाले हैं, से काफी ज़्यादा उमीदें हैं। अजय बंगा ने पहले बैंक की उधार देने की क्षमता को बढ़ाने के लिए साहसिक नए कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई थी, जैसे कि जी20 कैपिटल एडेक्वेंसी फ्रेमवर्क थी और निजी क्षेत्र और अन्य विकास बैंकों के साथ साझेदारी को मजबूत करने की बात से सहमति जताई है।
बंगा ने यह भी माना है कि जलवायु परिवर्तन और गरीबी आपस में जुड़ी हुई चुनौतियां हैं जिनका समाधान साथ-साथ करने की जरूरत है। हालांकि पिछले दिनों विश्व बैंक समूह (WBG) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की 2023 वार्षिक बैठकें 9 - 15 अक्टूबर तक माराकेच, मोरक्को में समाप्त हुई। अभी तक इससे इस दिशा में कुछ ठोस सामने आना बाक़ी है।
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