अब बदल गए हैं हालात
रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट की स्थिति में बदलाव हुआ है। अब टाटा संस की 65 फीसदी से भी ज्यादा की हिस्सेदारी रखने वाले टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष नोएल टाटा बन गए हैं। नोएल टाटा पलोनजी के दामाद हैं। इसलिए माना जा रहा है कि नोएल टाटा पिछली नीतियों में बदलाव कर सकते हैं। हालांकि, ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन टाटा संस के आईपीओ के बारे में कयास जारी है।
हितों में टकराव का भी मामला उजागर
इस बीच, टाटा संस को हितों के टकराव के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, वेणु श्रीनिवासन टाटा संस के बोर्ड में साल 2016 से ही हैं। सरकार ने साल 2022 में उन्हें आरबीआई बोर्ड का भी सदस्य बना दिया। विश्लेषकों का कहना है कि जब वेणु श्रीनिवासन आरबीआई और टाटा दोनों के बोर्ड में हैं तो यह एक गंभीर मामला है जो सीधे सीधे हितों के टकराव (Conflict of Interest) को दर्शाता है। उनका कहना है कि आरबीआई बोर्ड में श्रीनिवासन की स्थिति नैतिक चिंताओं को जन्म देती है, क्योंकि उनका टाटा ट्रस्ट से जुड़ाव है। टाटा ट्रस्ट का टाटा संस पर महत्वपूर्ण प्रभाव है।
आरबीआई ने क्या जारी किया है सरकुलर
रिजर्व बैंक ने 22 अक्टूबर, 2021 को एक सरकुलर जारी किया था। इसके मुताबिक कुछ एनबीएफसी को स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टेड होना है। इसमें खास तौर पर एसबीआर ढांचे के अपर लेयर में जो कंपनियां वर्गीकृत हैं, उनके लिए सितंबर 2025 तक का वक्त है। 14 सितंबर, 2023 को, आरबीआई ने टाटा संस सहित अपर लेयर में रखे गए 15 एनबीएफसी के नाम जारी किए। इनमें से अधिकतर कंपनियां लिस्ट हो गई हैं। लेकिन टाटा संस की लिस्टिंग के लिए अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।