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बाणगंगा हादसे के बाद सख्ती:स्कूल बसों की फिटनेस रिपोर्ट नहीं देने वालों से अब सड़क पर निपटेगी पुलिस

Updated on 20-05-2025 11:41 AM

बाणगंगा चौराहे पर स्कूल बस हादसे के बाद स्कूल-कॉलेज खुलने से पहले बसों की सुरक्षा और फिटनेस पर प्रशासन सख्त हो गया है। अब सभी शैक्षणिक बस ऑपरेटरों को स्कूल खुलने के एक हफ्ते पहले तक बसों की फिटनेस रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से कलेक्टर कार्यालय में जमा करानी होगी। इसके बाद आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की टीमें स्कूल-कॉलेज जाकर दस्तावेजों की फील्ड चेकिंग करेंगी।

सोमवार को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने स्कूल-कॉलेज के प्रतिनिधि और बस संचालकों के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा- बच्चों की सुरक्षा से कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक घंटे चली बैठक में भोपाल के 90 स्कूल-कॉलेजों के प्रतिनिधि और बस ऑपरेटर शामिल हुए।

ट्रैफिक पुलिस ने पीपीटी के माध्यम से शैक्षणिक वाहनों की स्थिति, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश और सुरक्षा उपायों की जानकारी दी। डीसीपी ट्रैफिक संजय सिंह ने कहा कि गाइडलाइन का पालन न करने वालों पर सड़क पर ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने पीपीटी से बताए सुप्रीम कोर्ट के 18 मापदंड...

{बसों का फिटनेस और बीमा हो। {ड्राइवर के पास हैवी व्हीकल लाइसेंस और 5 साल का अनुभव हो। {साल में दो बार ट्रैफिक नियम तोड़ने पर ड्राइवर को हटाया जाए। {एक बार भी ओवरस्पीडिंग, नशे में वाहन चलाने या खतरनाक ड्राइविंग के दोषी ड्राइवर को हटाना जरूरी। {बसों में स्पीड गवर्नर अनिवार्य हो।

हर बस में आगे और पीछे कैमरा लगा हो। {निर्धारित सीटों से ज्यादा बच्चे न बैठाए जाएं। {बस का रंग पीला हो। {बस के आगे-पीछे ‘स्कूल बस’ लिखा हो। {किराए की बस हो तो ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ हो। {जीपीएस सिस्टम चालू हो। {हर बस में फर्स्ट एड बॉक्स हो। {खिड़कियों में हॉरिजॉन्टल ग्रिल लगी हो। {अग्निशमन यंत्र हो। {बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर लिखा हो। {दरवाजों पर सुरक्षित सिटकनी हो। {बैग रखने की व्यवस्था सीट के नीचे हो।

बच्चों को छोड़ने और लेने के समय बस में एक जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद रहे। छात्राएं हों तो महिला स्टाफ जरूरी। बस से आने-जाने वाले विद्यार्थियों का नाम, पता, ब्लड ग्रुप और स्टॉप की सूची ड्राइवर के पास होनी चाहिए।

बसों में सफर कर प्रबंधन को खुद करना होगा सुरक्षा ऑडिट

स्कूल शुरू होने से एक हफ्ते पहले सभी बस संचालकों को ट्रांसपोर्ट अधिकारी नियुक्त कर बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट, ड्राइवर की स्क्रीनिंग और ओरिएंटेशन कराना होगा। इसके बाद संयुक्त प्रमाण पत्र तैयार कर प्रशासन को सौंपना होगा। नशे के आदी ड्राइवर या कंडक्टर को नौकरी पर नहीं रखा जाएगा। प्रबंधन को समय-समय पर बसों में सफर कर खुद सुरक्षा ऑडिट करना होगा।

215 बसों की चेकिंग, 41 पर एमवी एक्ट की कार्रवाई... 

सोमवार को भी ट्रैफिक पुलिस ने भी चालानी कार्रवाई जारी रही। इस दौरान 19 स्थानों पर करीब 215 शैक्षणिक, यात्री बसों की चेकिंग हुई। इनमें 41 बसों पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। अभियान 31 मई तक जारी रहेगा।



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