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मेडिकल यूनिवर्सिटी की कार्यशैली पर बड़ा सवाल:बिना संबद्धता वाले कॉलेजों में दाखिला... साल 2022-23 तक का नामांकन, परीक्षा डेटा गायब

Updated on 20-05-2025 11:38 AM

मप्र की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी, जबलपुर की कार्यप्रणाली पर भारत के लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। ऑडिट रिपोर्ट में 17 गंभीर कमियां सामने आईं। चौंकाने वाली बात यह है कि यूनिवर्सिटी में न एग्जीक्यूटिव काउंसिल है, न फाइनेंस कमेटी और न ही बोर्ड ऑफ स्टडीज। उप महालेखाकार के सवाल पर रजिस्ट्रार ने जवाब दिया- “एक स्थायी समिति काम कर रही थी।”

इतना ही नहीं, कुछ संस्थानों को संबद्धता दिए बिना ही छात्रों को एडमिशन दे दिया गया। गलती मानी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वेबसाइट पर जरूरी जानकारी नहीं है, न ही छात्र संतुष्टि सर्वे कराया गया। परीक्षाएं पूरी तरह ऑनलाइन हो चुकी हैं लेकिन दो साल का नामांकन और परीक्षा डेटा गायब है।

यूनिवर्सिटी ने कुछ कॉलेजों को फंड भी दिए, पर नियमों का पालन नहीं हुआ। उप महालेखाकार ने इसे गंभीर बताया और प्रमुख सचिव ने जांच के निर्देश दिए। वार्षिक लेखा वर्षों तक तैयार नहीं हुआ, अब कैश बुक-लेजर बने हैं, लेकिन पुरानी प्रविष्टियों की प्रमाणिकता पर सवाल हैं।

कोविड और धारा 51 के बहाने पर टला एकेडमिक कैलेंडर

जीएसटी वसूली में भी लापरवाही 2021-22 और 2022-23 में एकेडमिक कैलेंडर नहीं बना। रजिस्ट्रार ने इसका ठीकरा कोविड और धारा 51 पर फोड़ दिया। हालांकि उन्होंने बताया कि अब कैलेंडर तैयार किए जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों से एडवांस तो ले लिया लेकिन समय पर समायोजन नहीं किया। वहीं संबद्धता शुल्क पर जीएसटी भी समय पर नहीं वसूला गया।

हर्बल गार्डन बन गया कबाड़घर यूनिवर्सिटी से जुड़े एक कॉलेज में हर्बल गार्डन कबाड़घर में तब्दील हो गया। इस पर अधिकारियों ने नाराजगी जताई तब रजिस्ट्रार ने कॉलेज को नोटिस देने की बात कही। हालांकि स्वीकृत पदों के मुकाबले यूनिवर्सिटी में स्टाफ की कमी है। असिस्टेंट ग्रेड-3 के कुछ पदों पर ही भर्तियां हुई हैं। अब प्रमुख सचिव ने इसकी जांच के निर्देश दिए हैं।

प्रमुख सचिव बोले: हर गलती की होगी जवाबदेही बीते दिनों इस रिपोर्ट में पाई गई कमियों को लेकर विभाग मामले को दबाने की कोशिश में जुट गया है। इस पर हाल ही में हुई बैठक में प्रमुख सचिव संदीप यादव ने साफ कहा कि अब लापरवाही नहीं चलेगी। हर गलती की समीक्षा की जाएगी और जवाबदेही तय होगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन को कोर्ट, काउंसिल और निरीक्षण जैसे कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। रिपोर्ट को लेकर एग्जिट कॉन्फ्रेंस में प्रमुख सचिव संदीप यादव ने अध्यक्षता की और उप महालेखाकार हरजिंदर कुमार ने निष्कर्षों की प्रस्तुति दी।



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