इस बैन के बाद कंपनी के यूजर्स में कमी आई थी। बैन से पहले पेटीएम के पास UPI पेमेंट का 13 फीसदी हिस्सा था। चूंकि कंपनी नए यूजर्स नहीं जोड़ पा रही थी। बैन की खबर आने के बाद जो यूजर्स थे, वे भी कम होने लगे। स्थिति यह आ गई कि इसके यूजर्स की संख्या मात्र 8 फीसदी रह गई। इस दौरान फोनपे, गूगल पे आदि के यूजर्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई। भारत में होने वाले कुल यूपीआई ट्रांजेक्शन का करीब 87 फीसदी इन्हीं दोनों कंपनियों के प्लेटफॉर्म से होता है।