भारतीय सैनिकों को हटाएंगे मालदीव के नए चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जीत के मौके पर दिखाए असली रंग
Updated on
03-10-2023 01:05 PM
माले: चीन के समर्थक मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत के लिए सिरदर्द बनने वाले हैं। यह बात उन्होंने सोमवार को अपने जीत के मौके पर दिए गए भाषण से साफ कर दी। मुइज्जू ने देश से विदेशी सेनाओं को हटाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। ऐसे में आने वाले दिनों में उनका निशाना साफतौर पर भारतीय सेना होने वाली है। मुइज्जू ने इस बात पर जोर दिया है कि देशवासियों की इच्छा के विरुद्ध मालदीव में कोई भी विदेशी सैनिक नहीं रहेगा। उनकी मानें तो कार्यभार के पहले दिन से ही वह विदेशी सैनिकों को हटाने की कोशिशें शुरू कर देंगे।
ऑफिस संभालते ही शुरू होगी प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत का ऐलान करने के लिए सोमवार रात मुइज्जू एक सोशल सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में मौजूद थे। यहां पर बोलते हुए उन्होंने मालदीव की आजादी तय करने की प्रतिज्ञा को दोहराया। उन्होंने कहा कि लोगों ने इसी प्रतिज्ञा की वजह से उन्हें वोट दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये कोशिशें उनके शपथ लेने के तुरंत बाद शुरू हो जाएंगी। इस संबंध में उन्होंने कानून के दायरे में रहकर मालदीव से विदेशी सैनिकों को हटाने के अपने इरादे की पुष्टि की। मुइज्जू ने कहा कि लोगों ने फैसला किया है कि वे विदेशी सैनिकों की उपस्थिति नहीं चाहते हैं, इस बात पर जोर दिया कि कोई भी विदेशी सैनिक लोगों की इच्छाओं के खिलाफ मालदीव में नहीं रह सकता है।
भारत के रिश्तों की यही शर्त मुइज्जू ने कहा, 'इसलिए, जो राजदूत मुझसे मिलने आएंगे, उनसे मुझे यही कहना है कि करीबी रिश्तों के लिए यही एक शर्त है।' मुइज ने वादा किया कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीत गए तो वह मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों को हटा देंगे। साथ ही देश के व्यापार संबंधों को संतुलित करेंगे। साल 2018 में जब मालदीव में चुनाव हुए तो भारत समर्थक मोहम्मद सोलिह के हाथ में कमान आई। उन राष्ट्रपति चुनावों के बाद विपक्ष ने चिंता जताई थी देश में भारतीय सेना की मौजूदगी पर चिंता जताई थी। विपक्ष ने दावा किया कि भारतीय सेना की मौजूदगी के साथ ही मालदीव को भी भारत को सौंप दिया गया है। सोलिह ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया था।
विदेशी कर्ज को भी बताया बड़ा मसला मुइज्जू के मुताबिक सिर्फ विदेशी सैनिकों की मौजूदगी ही मुद्दा नहीं है। बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी विदेशी ताकतों की गुलाम थी। उन्होंने किसी देश का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि देश का आधा कर्ज एक विशिष्ट देश पर बकाया है। फिर भी, उन्होंने निर्धारित राजनयिक चैनलों के माध्यम से ऐसे मुद्दों को हल करने में भरोसा जताया है। मुइज्जू के मतुताबिक कई देशों के राजदूतों ने उनके मीटिंग का अनुरोध किया है। लेकिन नियमों के अनुसार ही इन मीटिंग्स को पूरा किया जाएगा। मुइज्जू ने कहा कि उनकी विदेश नीति को 'मालदीव समर्थक' है। उनकी इस नीति का समर्थन करने वाले विदेशी देशों के साथ राजनयिक संबंध रखते ही वह राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देंगे।
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