- क्या होगा फायदा?
म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट विजय मंत्री कहते हैं कि अभी तीन मुख्य इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हैं। इनमें म्यूचुअल फंड, PMS (इसमें मिनिमम निवेश 50 लाख रुपये तक है) और तीसरा है अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट (मिनिमम इन्वेस्टमेंट एक करोड़ रुपये) है। नया असेट क्लास म्यूचुअल फंड और PMS के बीच की खाई को भर देगा। निवेशकों को 10 लाख रुपये से 50 लाख रुपये के बीच निवेश के लिए एक ऑप्शन प्रदान करेगा। इसमें फंड मैनेजर की रणनीति ट्रेडिशनल म्यूचुअल फंड के निवेश की रणनीति से अलग होगी। - क्या है मकसद?
नए प्रोडक्ट का मकसद अनरजिस्टर्ड और अनअथॉराइज्ड निवेश स्कीम्स को रोकना भी है, जो अक्सर अवास्तविक हाई रिटर्न का वादा करते हैं और बेहतर यील्ड के लिए निवेशकों की अपेक्षाओं का फायदा उठाते हैं, जिससे संभावित फाइनैंशल रिस्क पैदा होते हैं। - आम MF से अलग कैसे?
नए असेट क्लास को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि इसमें इन्वेस्टमेंट रणनीति ऐसी होंगी, जो अभी आम म्यूचुअल फंड में नहीं है। क्या यह रिटेल निवेशकों के लिए रिस्की हो सकता है? नुवामा वेल्थ के प्रमुख राहुल जैन का कहना है कि नया असेट क्लास अनरेगुलेडेट और अनऑथराइज्ड प्रोडक्ट्स का उपयोग करने की आवश्यकता को समाप्त करके निवेशकों को फायदा देगा। यह हाई नेटवर्थ लोगों के लिए भी अच्छा विकल्प होगा, क्योंकि इसमें लॉन्ग-शॉर्ट और इनवर्स एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड जैसी रणनीति का लाभ उठाने का एक अवसर मिलेगा। - ज्यादा रिस्की तो नहीं?
फाइनैंशल प्लानर कार्तिक झवेरी का कहना है कि पहली नजर में यह थोड़े रिस्की लगते हैं, लेकिन अगर ऐसा होगा तो भी इन्हें लाने से पहले रेगुलेटर द्वारा इनका विस्तार से विवरण दिया जाना आवश्यक हो सकता है। अभी तक के स्ट्रक्चर में यह ज्यादा रिस्की नहीं लगता है। हालांकि बाजार से जुड़े जो रिस्क हैं, वह तो सभी में है।