प्रदेश में स्वास्थ्य अधोसंरचना विकास कार्यों की धीमी रफ्तार होने पर उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को मंत्रालय में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में उन्होंने निर्माण कार्यों में देरी को विभागीय उदासीनता और सामंजस्य की कमी करार देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा- अब और देरी बर्दाश्त नहीं, जिन अधिकारियों में काम करने की क्षमता नहीं है, वे खुद तय करें कि रहना है या नहीं।
डिप्टी सीएम ने स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों और निर्माण एजेंसियों को फटकारते हुए पूछा- “जहां जमीन उपलब्ध नहीं है, वहां काम कैसे होगा? यह बात इससे पहले क्यों नहीं बताई? उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसी सभी अड़चनों की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को तुरंत दी जाए, । डिप्टी सीएम ने कहा- विभागीय अधिकारी स्वयं मैदानी दौरे करें और काम की मॉनिटरिंग करें। नहीं तो जवाब देने के लिए तैयार रहें।
पीआईयू के 217 प्रोजेक्ट्स चल रहे, 24 अभी भी लटके, बैठक में परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू) की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया गया कि प्रदेश में स्वास्थ्य अधोसंरचना से जुड़े 217 कार्य प्रगतिरत हैं, जिन पर 1054 करोड़ रु. की प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है। इसके अलावा 24 कार्यों को 283 करोड़ रु. की स्वीकृति तो मिल गई है, लेकिन ये काम अब तक शुरू नहीं हुए। वहीं 5 कार्य ऐसे हैं जो पूरी तरह ठप पड़े हैं।