भोपाल । असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए लागू मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। बहुत सारे पात्रों को योजना का लाभ देने के बजाय कर्मचारियों ने धनराशि की बंदरबांट की। अपने और रिश्तेदारों के नाम से करोड़ों रुपये जमा किए। संबल योजना के तहत श्रमिकों के लिए 5 हजार रुपये अंत्येष्टि सहायता, 2 लाख रुपये सामान्य मृत्यु सहायता, 4 लाख रुपये दुर्घटना मृत्यु सहायता, 1 लाख रुपये आंशिक दिव्यांगता सहायता और 2 लाख रुपये स्थायी दिव्यांगता सहायता दी जाती है।
67.40 लाख श्रमिकों को अपात्र बताकर योजना से बाहर किया। सत्यापन किया गया तो उसमें 14.34 लाख के अपात्र होने का कारण भी नहीं बताया गया। इस तरह की कई और गड़बड़ियां भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की सोमवार को विधानसभा में पटल पर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में सामने आईं।
सबसे पहले कैग ने पाया कि योजना में आयु और असंगठित श्रमिक के रूप में पंजीयन के लिए पात्रता की पुष्टि के दस्तावेज प्राप्त किए बिना ही 2.18 करोड़ लोगों का योजना में पंजीयन किया गया। जून 2019 में किए गए पात्रता के सत्यापन में 67.40 लाख श्रमिकों को ढाई एकड़ से अधिक भूमि, शासकीय सेवा, करदाता सहित अन्य आधार पर अपात्र घोषित किया गया।
अपात्रों के योजना में शामिल होने से 1.14 करोड़ रुपये का अनियमित भुगतान हो गया। अनुग्रह सहायता में भी गड़बड़ी हुई। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, बड़वानी जिले की सेंधवा और राजपुर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने सहायक ग्रेड दो कर्मचारी पुष्पेंद्र यादव के रिश्तेदारों एवं अन्य असंबंधित व्यक्तियों के नाम व बैंक खातों को शामिल करते हुए 77.97 लाख रुपये 23 लेन-देन के माध्यम से जमा किए।
पुष्पेंद्र यादव जनवरी 2020 तक राजपुर और फिर सेंधवा जनपद पंचायत में लेखापाल के रूप में कार्यरत था। दोनों जनपद पंचायतों में जनपद पंचायत निधि, ग्राम पंचायत भवन संधारण, निर्वाचन, राष्ट्रीय परिवार सहायता, मध्याहन भोजन, बस्ती विकास योजना एवं बैंक खाते में अर्जित ब्याज 1.69 करोड़ रुपये निकाले और पुष्पेंद्र यादव और चार अन्य व्यक्तियों के खातों में जमा किए। इसी तरह नदी में डूबने, घर में आग लगने और सांप काटने के कारण हुई मौत के बाद भी अनुग्रह राशि दी गई, जबकि इसका प्रविधान ही नहीं था।