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चीन के तियानगोंग को अब मिलेगी टक्कर, अंतरिक्ष में होगा भारत का 'घर', इसरो बनाएगा स्पेस स्टेशन

Updated on 18-10-2023 01:26 PM
वॉशिंगटन: भारत की स्पेस एजेंसी अंतरिक्ष में कमाल कर रही है। अगस्त में भारत चांद पर जाने वाला चौथा देश बन गया। वहीं भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब जाने वाला पहला देश बना। लेकिन अब इसरो ने अपने दो और बड़े लक्ष्य बना लिए हैं। गगनयान मिशन की स्थिति जानने के लिए पीएम मोदी ने मंगलवार को इसरो वैज्ञानिकों के साथ एक हाई लेवल रिव्यू मीटिंग रखी। वैज्ञानिकों ने कहा कि सबकुछ ठीक चल रहा है। इसके साथ उन्होंने 2035 तक भारत के स्पेस स्टेशन और 2040 में चंद्रमा पर पहले भारतीय को पहुंचाने का लक्ष्य बनाया।

लेकिन ये स्पेस स्टेशन क्या होता है? अंतरिक्ष स्टेशन एक कृत्रिम संरचना है जिसे पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाता है और जो वहीं रहता है। दरअसल अंतरिक्ष में कई प्रयोग होते हैं। इन प्रयोगों को करने के लिए लैब या वैज्ञानिकों के रहने की जगह बनानी होती है। इसके लिए अंतरिक्ष में धातु का एक स्टेशन बनाया जाता है जो लगातार धरती का चक्कर लगा रहा होता है। अभी अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के नेतृत्व वाला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) और चीन का तियानगोंग स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में है।

चीन का भी है स्पेस स्टेशन

चीन के तियानगोंग स्पेस स्टेशन के तीन मॉड्यूल हैं। लेकिन आने वाले वर्षों में चीन तीन नए मॉड्यूल को जोड़ना चाहता है, ताकि अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के करीब मिशन के लिए वैकल्पिक मंच दिया जा सके। चीन अपने स्टेशन को तब बढ़ाना चाहता है जब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन कुछ वर्षों में रिटायर होगा। तियानगोंग स्पेस स्टेशन की बात करें तो उसका जीवनकाल अगले 15 वर्षों तक होगा। 2022 से यह पूरी तरह काम कर रहा है। धरती से यह 450 किमी की ऊंचाई पर है। इसमें अधिकतम तीन अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं।

रिटायर होने वाला है ISS

छह मॉड्यूल होने के बाद इसका आकार 180 मीट्रिक टन हो जाएगा। तब भी यह ISS के द्रव्यमान का केवल 40 फीसदी है, जिसमें सात अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। ISS पिछले दो दशकों से कक्षा में मौजूद है और 2030 के बाद उसके निष्क्रिय होने की उम्मीद है। चीनी मीडिया ने पिछले साल कहा था कि तियानगोंग पूरी तरह से चालू हो गया है। इसके अलावा उसने कहा था कि कई देशों को अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चीनी स्टेशन पर भेजना चाहिए। ISS को कई देशों ने मिलकर बनाया है, जिसमें रूस भी है। रूसी स्पेस एजेंसी का लक्ष्य है कि वह अपना स्पेस स्टेशन बनाए।


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