मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती से जुड़े दो महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने TET 2020 उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भर्ती परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है। साथ ही आयु सीमा के मामले में भी राहत दी है। पहले मामले में, विदिशा निवासी अरविंद रघुवंशी और अन्य याचिकाकर्ताओं ने भर्ती विज्ञापन की धारा 6.2 को चुनौती दी थी।
इसमें अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष निर्धारित की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्होंने 2018 में 39 वर्ष की आयु में पात्रता परीक्षा पास की थी। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के अनुसार, उन्हें 3 वर्ष की अतिरिक्त छूट मिलनी चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम राहत देते हुए उन्हें परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी।
दूसरे मामले में, बुरहानपुर की आकांक्षा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने TET 2020 पास अभ्यर्थियों को भर्ती परीक्षा से बाहर करने को चुनौती दी। TET 2023 की नियम पुस्तिका के अनुसार, 2018 के बाद की सभी शिक्षक पात्रता परीक्षाओं की वैधता आजीवन है, लेकिन मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड ने 2024 की भर्ती प्रक्रिया में TET 2020 पास अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया।
अधिवक्ता धीरज तिवारी ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह कार्रवाई 2023 की नियम पुस्तिका के क्लॉज 7.4 का उल्लंघन है। चयन परीक्षा 2024 में केवल TET 2018 और 2023 को ही मान्यता दी गई थी। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए TET 2020 पास अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील से सहमति जताते हुए अंतरिम राहत दी और आदेश दिया कि प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा TET 2020 पास अभ्यर्थी भर्ती प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा परीक्षा 2024 में आवेदन कर सकते हैं और परीक्षा में भाग ले सकते हैं। हालांकि, उनकी नियुक्ति अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी।
आयु सीमा में छूट के मामले में राहत
TET 2020 पास अभ्यर्थियों को भर्ती परीक्षा 2024 में शामिल होने की अनुमति दी गई। मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (ESB) के नियमों की समीक्षा और इस मामले में न्यायसंगत समाधान की जरूरत जताई गई।दोनों मामलों को दो सप्ताह सूचीबद्ध किए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत एवं न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया।
फैसले का असर
प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा TET 2020 पास अभ्यर्थी, जो अब तक भर्ती परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे थे, अब आवेदन कर सकते हैं। उम्र सीमा के कारण भर्ती प्रक्रिया से वंचित किए गए कई अभ्यर्थियों को भी राहत मिली है। दोनों ही मामलों में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता धीरज तिवारी ने पैरवी की और बताया कि मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (ESB) द्वारा लागू किए गए नियम न केवल भर्ती नियमों के खिलाफ हैं, बल्कि अभ्यर्थियों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन कर रहे हैं।