जमीनी हकीकत से दूर है मैनेजमेंट
एयर इंडिया के अंदरूनी लोगों का भी मानना है कि केवल नए विमान लाने से ये मुद्दे हल नहीं होंगे।
एयर इंडिया के निजीकरण के समय एआई इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (AIESL) को अलग कर दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि सिस्टम और प्रक्रियाएं लागू होनी चाहिए। हमारी लंबी दूरी की उड़ानें विमानों की अधिकतम वहन क्षमता के साथ संचालित होती हैं। यहां तक कि एक छोटी सी समस्या का मतलब है यात्रियों या सामान को पीछे छोड़ना, उड़ानों में देरी या रद्द करना। बॉम्बे हाउस (टाटा का मुख्यालय) इस मामले से अवगत है। वह स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और पूछे जाने वाले सवाल पूछ रहा है।