नई दिल्ली। इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों की दिशा देश-दुनिया में कोविड-19 से जुड़े घटनाक्रमों से तय होगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई। उनका कहना है कि छुट्टियों वाले कम कारोबारी सत्रों के सप्ताह के दौरान बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रह सकता है। सोमवार को महावीर जयंती और शुक्रवार को गुड फ्राइडे के अवसर पर बाजार में अवकाश रहेगा। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लि. के प्रमुख (खुदरा अनुसंधान) सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि आगे चलकर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। बाजार की दिशा वैश्विक रुख और देश-दुनिया में कोरोना वायरस की स्थिति से तय होगी। खेमका ने कहा कि बाजार में काफी अधिक करेक्शन हुआ है। यह दीर्घावधि के निवेशकों के लिए निवेश का काफी अच्छा मौका है। फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को चेताया कि 2020-21 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर दो प्रतिशत के निचले स्तर पर आ सकती है। 30 साल पहले शुरू हुए उदारीकरण के बाद यह आर्थिक वृद्धि दर का सबसे निचला स्तर होगा। फिच ने कहा है कि 2020 वैश्विक अर्थव्यवस्था गहरी मंदी में चली जाएगी। वैश्विक वृद्धि दर में 1.9 प्रतिशत की गिरावट आएगी। इस गिरावट की प्रमुख वजह अमेरिका और यूरो क्षेत्र का खराब प्रदर्शन रहेगा। बीते सप्ताह बीएसई सेंसेक्स 2,224.64 या 7.46 प्रतिशत नीचे आया। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, बाजार की दिशा दुनिया में कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों में इस वायरस की स्थिति से तय होगी। भारत में इसके संक्रमण को रोकने के लिए किए गए प्रयासों में कुछ सफलता मिली और कुछ बाधाएं भी आई हैं। यदि लॉकडाउन हटाने से संबंधी कोई खबर मिलती है तो बाजार में कुछ सकारात्मक रुख देखने को मिल सकता है। वृहद आर्थिक मोर्चे पर सेवा क्षेत्र के पीएमआई आंकड़े सोमवार को आएंगे। विश्लेषकों ने कहा कि इसके अलावा निवेशकों की निगाह कच्चे तेल के रुख, रुपए के उतार-चढ़ाव और विदेशी निवेशकों के निवेश के रुख पर भी रहेगी।