मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी और उससे जुड़े सार्वजिनक प्रतिबंध के आर्थिक तौर से निपटने के लिए वित्तीय संस्थानों में करीब 3.74 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त नकद धन के प्रवाह के इंतजाम किए गए हैं। इससे बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समित ने पूर्व नियोजित बैठक से पहले शुक्रवार को नीतिगत ब्याज दरों में कटौती और बैंकों के पास कर्ज के लिए अतिरक्त धन उपलब्ध कराने के फैसले किए। दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वित्तीय बाजार दबाव में है और बाजार में स्थिरता तथा आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिए आरबीआई को कदम उठाने की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि नकदी बढ़ाने के उपायों के तहत आरबीआई बाजार में एक लाख करोड़ रुपए की नकदी डालने के लिए रेपो आधारित बांड की नीलामी करेगा। इसके अलावा उन्होंने सभी बैंकों के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक प्रतिशत कम कर 3 प्रतिशत किया गया गया है। यह 28 मार्च से एक साल के लिये प्रभाव में रहेगा। इससे बाजार में 1.37 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आने की उम्मीद है। इससे पहले आरबीआई ने फरवरी 2013 में सीआरआर में 0.25 प्रतिश्त की कटौती की थी। इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने सीमांत कर्ज सुविधा दर (एमएसएफ) और बैंक दर को 5.40 प्रतिशत से कम कर 4.65 प्रतिशत कर दिया है। इससे भी बाजार में नकदी बढ़ेगी। दास ने कहा कि कुल मिलाकर इन उपायों से अर्थव्यवस्था में 3.74 लाख करोड़ रुपए की नकदी बढ़ेगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने यह भी कहा कि वित्तीय बाजार की स्थिरता और आर्थिक वृद्धि संभालने के लिये परंपरागत या लीक से हट कर, सभी प्रकार के विकल्प विकल्प खुले हैं। उन्होंने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि देश में बैंक प्रणाली पूरी तरहर सुरक्षित है और वे घबराकर निजी बैंकों स पैसा नहीं निकालें।