मुंबई। बाजार में कोरोना का कोहराम जारी है। कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने के बाद से ही दुनियाभर के शेयर बाजारों में हाय-तौबा मची है। कमोडिटी बाजारों पर भी काफी प्रभाव देखने को मिल रहा है। वैश्विक बाजारों से संकेत लेते हुए घरेलू शेयर बाजार बड़ी गिरावट के साथ खुले। गुरुवार को करीब 3000 अंक गिरने के बाद शेयर बाजार शुक्रवार को फिर गोता लगा गया। बाजार खुलते ही 3000 अंक गिर गया, जबकि निफ्टी में 900 अंक की गिरावट आई है। यह पांचवां मौका है, जब लोअर सर्किट लगा है। बता दें कि अगर ये गिरावट 10 फीसदी का आंकड़ा छू लेती तो लोअर सर्किट लग जाता और ट्रेडिंग रोक दी जाती। शेयर बाजार में गुरुवार को लोअर सर्किट लगते-लगते बचा था, मगर शुक्रवार को यह गिरावट के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। शुक्रवार को कारोबार शुरू होने के कुछ ही मिनटों में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट आई और निफ्टी का कारोबार घंटे भर के लिए बंद कर दिया गया। इसमें 45 मिनट के लिए निफ्टी बंद रहेगा और फिर 15 मिनट के लिए वह प्रीओपन होगा। गुरुवार को बाजार बार-बार लोअर सर्किट यानी 10 फीसदी की गिरावट के करीब पहुंच रहा था, लेकिन गनीमत रही कि हर बार वह रिकवर होता गया। इस गिरावट को इतिहास की सबसे बड़ी गिरावटों में से एक माना जा रहा है। गुरुवार को निफ्टी जुलाई 2017 के बाद पहली बार 9600 के स्तर के नीचे गया था। वहीं अगर सेंसेक्स की बात करें तो उसमें गुरुवार को पिछले करीब 12 सालों की सबसे बड़ी गिरावट दिखाई दी। इससे पहले 2008 में इतनी बड़ी गिरावट आई थी। खैर, गुरुवार के कारोबार में तो लोअर सर्किट नहीं लगा, लेकिन सेंसेक्स में शुक्रवार को 9.43 फीसदी की गिरावट के बाद ही लोअर सर्किट लगा दिया गया और 45 मिनट के लिए कारोबार बंद कर दिया गया, जो समय पूरा होने के बाद 15 मिनट के लिए प्रीओपन होगा। शेयर बाजार के इतिहास में ऐसे चार मौके रह चुके हैं, जब सेंसेक्स में लोअर सर्किट लगा था और शेयर बाजार ठप हो गया था।
जब लगा लोअर सर्किट
1- सबसे पहला मौका 21 दिसंबर 1990 में आया था, जब सेंसेक्स में 16.19 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इस गिरावट के बाद शेयर बाजार 1034.96 के स्तर पर पहुंच गया था।
2- शेयर बाजार का इतिहास देखकर पता चलता है कि सेंसेक्स में दूसरी सबसे बड़ी गिरावट 28 अप्रैल 1992 में आई थी। तब सेंसेक्स में 12.77 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। उस दिन शेयर बाजार 3896.90 के स्तर पर बंद हुआ था।
3- तीसरा मौका था 17 मई 2004 का, जब शेयर बाजार में 11.14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। तब शेयर बाजार 4505.16 के स्तर पर जाकर बंद हुआ था।
4- गुरुवार जैसी गिरावट इससे पहले 2008 में देखी गई थी। 24 अक्टूबर 2008 को सेंसेक्स में 10.96 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। उस दिन शेयर बाजार 8701.07 के स्तर पर बंद हुआ था।
अमेरिकी बाजार में 2256 अंकों की गिरावट
दुनिया भर के शेयर बाजार में गुरुवार को भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स आज 2900 अंकों से ज्यादा लुढ़क कर बंद हुआ। अमेरिकी शेयर बाजार की हालत भी बेहद खराब है। डॉनल्ड ट्रंप द्वारा यूरोप से आवाजाही पर रोक लगाने के बाद डाउ जोन्स में भारी गिरावट का सिलसिला बरकरार है। डाउ जोन्स सुबह 1369 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला। ारोबार के दौरान यह अधिकतम 2256 अंक तक लुढ़क गया था। 1987 के बाद अमेरिकी शेयर बाजार के लिए यह सबसे खराब दिन रहा है। एयरलाइन्स सेक्टर का स्टॉक 14.40 फीसदी, क्रूजलाइनर स्टॉक 23 फीसदी तक लुढ़क चुका है। ऐसा यूरोप से आवाजाही पर रोक के फैसले के कारण हुआ है। बोइंग के शेयर में 13 पर्सेंट की भारी गिरावट दर्ज की गई है। बोइंग के शेयर में इस सप्ताह अब तक 40 पर्सेंट की गिरावट दर्ज की गई है।
डाउ जोंस में ट्रेडिंग 15 मिनट के लिए बंद
आज हालात इतने बदतर हो गए कि अमेरिकी शेयर बाजार डाउ जोंस में ट्रेडिंग 15 मिनट के लिए रोक देनी पड़ी। यानी अमेरिकी शेयर बाजार में 15 मिनट के लिए किसी भी तरह का कारोबार नहीं हुआ। बाद में स्थिति सामान्य होने पर एक बार फिर कारोबार की शुरुआत हुई और अंत में डाउ जोंस 10 फीसदी यानी 2,352.60 अंक लुढ़क कर 21,200.62 अंक के स्तर पर बंद हुआ। ये साल 1987 के बाद का सबसे खराब प्रदर्शन है। एसएंडपी और नैस्डैक भी करीब 10 फीसदी टूटे।
गिरावट के बड़े कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना को विश्वव्यापी महामारी घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 को पैनडेमिक (विश्वव्यापी महामारी) माना जा सकता है।
सरकार ने 15 अप्रैल तक सभी देशों के पर्यटक वीजा निलंबित कर दिए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका शुक्रवार से (स्थानीय समयानुसार) 30 दिन के लिए यूरोप से सभी यात्राएं रद्द करने जा रहा है। इस दौरान किसी तरह के यातायात को इजाजत नहीं दी जाएगी। ब्रिटेन को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
भारी गिरावट से वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका गहरा गई है। कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट का रुख है। मांग घटने और सप्लाई बढऩे की आशंका से क्रूड में आठ फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है और ब्रेंट 31 डॉलर के करीब पहुंच गया है। क्रूड में आई करीब तीन दशक की तेज गिरावट ने भी दुनिया के शेयर बाजारों का मूड बिगाड़ दिया है।
विदेशी फंड के लगातार बाहर जाने के चलते निवेशकों की भावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को सकल आधार पर 3,515.38 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची।
खाद्य कीमतों में नरमी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में धीमी पड़कर 6.58 फीसदी पर आ गई। सरकार ने इस संबंध में गुरुवार को आंकड़े जारी किए। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2020 में 7.59 फीसदी थी। जबकि फरवरी 2019 में यह आंकड़ा 2.57 फीसदी था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2020 में खाद्य क्षेत्र की महंगाई घटकर 10.81 फीसदी रही जो जनवरी में 13.63 फीसदी थी। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति चार फीसदी से नीचे रखने का लक्ष्य दिया है। साथ ही आज थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी होने हैं, जिससे बाजार प्रभावित होगा।
74.39 के स्तर पर खुला रुपया
डॉलर के मुकाबले आज रुपया 17 पैसे की गिरावट के बाद 74.39 के स्तर पर खुला। जबकि गुरुवार को बाजार में मचे हड़कंप के बीच रुपया 56 पैसे गिरकर 17 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया था। कोरोनावायरस की वजह से डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को 74.22 पैसे पर बंद हुआ था।
2919 अंकों की जबरदस्त गिरावट पर बंद हुआ था सेंसेक्स
पिछले कारोबारी दिन शेयर बाजार में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। दिनभर के कारोबार के बाद सेंसेक्स 2,919.26 अंक यानी 8.18 फीसदी की जबरदस्त गिरावट के बाद 32,778.14 के स्तर पर बंद हुआ था और निफ्टी 825.30 अंक यानी 7.89 फीसदी की गिरावट के बाद 9,633.10 के स्तर पर बंद हुआ था। प्री ओपन के दौरान सुबह 9:10 बजे शेयर मार्केट लाल निशान पर था। सेंसेक्स 1,564.01 अंक यानी 4.77 फीसदी की गिरावट के बाद 31,214.13 के स्तर पर था। वहीं निफ्टी 482.55 अंक यानी 5.03 फीसदी की गिरावट के बाद 9,107.60 के स्तर पर था।