मुंबई । रिलायंस ग्रुप के मुखिया अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल ग्रुप की कंपनी रिलायंस होम फाइनेंस 40.08 करोड़ रुपए का लोन चुकाने में डिफॉल्टर साबित हुई है। कंपनी ने सेबी को यह जानकारी दी है। कंपनी के पास म्यूचुअल फंड्स के तौर पर 700 करोड़ रुपए का कैश इन हैंड है। कंपनी ने बताया कि लोन चुकाने में इस देरी की वजह दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से 20 नवंबर, 2019 को दिए गए फैसले में रोक लगाना है। इस फैसले में उच्च न्यायालय ने कंपनी की ओर से संपत्तियों को बेचने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। कर्ज में डूबी कंपनी अपनी संपत्तियों को बेचकर आर्थिक देनदारी निपटाना चाहती है। इससे पहले 7 जून, 2019 के आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक कंपनी को कर्ज देने वाली संस्थाओं के बीच इंटर-क्रेडिटर एग्रीमेंट हुआ था ताकि रिजॉल्यूशन प्लान तैयार किया जा सके। कंपनी ने बताया कि उसे 8 फरवरी, 2020 को पंजाब एंड सिंध बैंक को लोन का 40 करोड़ रुपए का प्रिंसिपल अमाउंट और 8 लाख रुपए का ब्याज चुकाना था, जिसे वह नहीं दे सकी है। उस पर पंजाब एंड सिंध बैंक का कुल 200 करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसे उसने सालाना 9.15 फीसदी की ब्याज दर पर ले रखा है। इसके अलावा अन्य सभी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से कर्ज की बात की जाए तो यह आंकड़ा 3,921 करोड़ रुपए है। कंपनी पर शॉर्ट टर्म और लांग टर्म दोनों तरह के कर्जों को जोड़ लिया जाए तो ब्याज समेत यह राशि 12,036 करोड़ रुपए बनती है। गौरतलब है कि हाल ही में आरबीआई की ओर से नियंत्रण में लिए गए यस बैंक का भी अनिल अंबानी की कंपनियों पर बड़ा कर्ज है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अनिल अंबानी की कंपनियों पर यस बैंक का करीब 13,000 करोड़ रुपए बकाया है। रिलायंस कॉम्युनिकेशंस समेत अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कई बड़ी कंपनियां कर्ज में डूबी हैं। हाल ही में ब्रिटेन में एक केस के दौरान अनिल अंबानी ने अपनी नेट वर्थ जीरो बताई थी।