नई दिल्ली । वैश्विक बाजारों में तेजी की वजह से पिछले सप्ताह दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार में सुधार देखा गया। तिल मिल डिलिवरी, सोयाबीन बीज और सोयाबीन लूज के भाव में नरमी को छोड़कर बाकी सभी तेल तिलहनों के दाम मुनाफे के साथ बंद हुए। बाजार सूत्रों ने बताया कि अंतराष्ट्रीय बाजारों में तेजी के कारण स्थानीय तेल तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि भारत में सोयाबीन, पामोलीन और कच्चा पाम तेल (सीपीओ) के आयात शुल्क मूल्य, बाजार भाव के अनुरूप तय नहीं किए जाने से कारोबारियों के लिए आयात लाभदायक नहीं रह गया है। यह हाजिर बाजार के मुकाबले 300-400 रुपए प्रति क्विन्टल ऊंचा रखा गया है। बंदरगाहों पर माल अटके पड़े है। व्यापारियों को अब 13 मार्च को घोषित होने वाले अगले पखवाड़े के आयात शुल्क मूल्य के बाजार भाव के अनुरूप तय होने की उम्मीद है। कच्चा पाम तेल (सीपीओ) का आयात शुल्क मूल्य 718 डॉलर प्रति टन है जबकि इसका बाजार भाव 620 डॉलर प्रति टन है।
मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक शुरू हो गई है। उधर वायदा कारोबार में सट्टेबाजों ने सोयाबीन, सरसों, सीपीओ और पामोलीन जैसे तेलों के भाव तोड़ रखे हैं जिससे ऊंचे भाव पर आयात करने वाले कारोबारियों के लिए तेल कारोबार में फायदा नहीं दिख रहा। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सरसों (तिलहन) और सरसों दादरी तेल का भाव क्रमश: 4,200-4,245 रुपए और 8,520 रुपए पर बंद हुए जो भाव उसके पिछले सप्ताहांत क्रमश: 4,165-4,195 रुपए और 8,400 रुपए प्रति क्विन्टल थे। जबकि सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी टिन के भाव भी पिछले सप्ताहांत के बंद स्तर के मुकाबले क्रमश: 10 रुपए और 20 रुपए के सुधार के साथ क्रमश: 1,365-1,525 रुपए और 1,400-1,545 रुपए प्रति टिन पर बंद हुए। निर्यात की मांग बढ़ने से मूंगफली दाना और मूंगफली मिल डिलिवरी तेल गुजरात की कीमतें क्रमश: 150 रुपए और 650 रुपए सुधरकर क्रमश: 4,685-4,710 रुपए और 12,250 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल की कीमत भी 55 रुपये के सुधार के साथ 1,880-1,925 रुपए प्रति टिन पर बंद हुई। साधारण मांग के कारण वनस्पति घी की कीमत जहां 60 रुपए के सुधार के साथ 1,035-1,295 रुपए प्रति टिन पर बंद हुई। वहीं तिल मिल डिलिवरी की कीमत 100 रुपए के नुकसान के साथ 10,000-14,500 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुई।