आयकर कानून की धारा 80C में निवेश से जुड़े कई विकल्पों पर टैक्स छूट मिल जाती है। इन निवेश विकल्पों में ईपीएफ, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, एनएससी, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ELSS) और टैक्स सेविंग एफडी आदि शामिल हैं। इन निवेश विकल्पों के जरिए की गई बचत पर आप सेक्शन 80सी के तहत इनकम टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं। इसी तरह जीवन बीमा आदि के प्रीमियम समेत कई अन्य विकल्पों को मिलाकर कुल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर आप इनकम टैक्स छूट पा सकते हैं। इसके अलावा, दो बच्चों की पढ़ाई में सिर्फ ट्यूशन फीस, होम लोन की किस्त में शामिल मूलधन का हिस्सा, घर की खरीद में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज आदि पर भी आप धारा 80सी के तहत आयकर छूट का क्लेम कर सकते हैं।
अगर आपकी सैलरी में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) कंपोनेंट शामिल है और आपने इस पर टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए जरूरी दस्तावेज अपने एंप्लॉयर के पास नहीं जमा करवाए थे तो अब भी वक्त है यह छूट पाने की। अब जब इनकम टैक्स रिटर्न भर रहे हैं तो एचआरए पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इनकम टैक्स के सेक्शन 10(13ए) के तहत एचआरए पर टैक्स छूट मिलती है। एचआरए निर्धारित करनेवाले वेतन में बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और कमीशन आते हैं। इसकी एक अहम शर्त यह भी है कि आप जिस घर में रहते हों, उसका किराया चुका रहे हों। सिर्फ इसी तरह के किराए पर कर छूट मिलेगी।
एनपीएस खाताधारक को धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक और धारा 80 सीसीडी के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये तक की आयकर (Income Tax छूट मिलती है। हालांकि एन्यूटी से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी बनती है। इस कमाई को आपकी अन्य सभी कमाइयों में जोड़कर आपका स्लैब निर्धारित होगा और उसी हिसाब से इनकम टैक्स भरना होगा। वहीं एनपीएस के टिअर-1 अकाउंट में कंट्रीब्यूशन पर और विदड्रॉल दोनों पर टैक्स से छूट के लाभ मिलते हैं। ऐसे में खाताधारकों को यह भी फायदा मिलेगा।