'चीन प्लस वन' रणनीति के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने विनिर्माण केंद्र के तौर पर चीन के साथ किसी अन्य देश को भी जोड़ना चाहती हैं। इसके लिए भारत भी एक संभावित दावेदार के तौर पर उभरकर सामने आया है।
बंगा ने कहा, ''भारत को यह ध्यान रखना होगा कि इस रणनीति से पैदा होने वाला अवसर उसे 10 साल तक नहीं मिलता रहेगा। यह तीन से लेकर पांच साल तक उपलब्ध रहने वाला अवसर है जिसमें आपूर्ति शृंखला को अन्य देश में ले जाने या चीन के साथ अन्य देश को जोड़ने की जरूरत है।''