बागवान आखिर नाले में क्यों बहा रहे हैं सेब वजह जान कर हैरान रह जाएंगे
Updated on
31-07-2023 02:14 PM
नई दिल्ली: इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल (Viral Video) हो रहा है। यह वीडियो हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू क्षेत्र का बताया जा रहा है। वीडियो में दावा किया जा रहा है कि बारिश और भू-स्खलन की वजह से सड़के क्षतिग्रस्त हो गई हैं। इस वजह से बागवान सेब को मंडी तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। ऐसे में बाग से तोड़े सेब कहां रखें? तो फिर वे इसे नाले में बहा रहे हैं।
सी ग्रेड का सेब है!
इस वीडियो को देखने के बाद आजादपुर मंडी के एक कारोबारी का कुछ अलग कहना है। उनका कहना है कि जो सेब नाले में बहाया जा रहा है, वह सी ग्रेड का सेब है। हिमाचल प्रदेश के बागवान इसे अमूमन बोरी में भर कर दिल्ली भेजते हैं। इसकी कीमत काफी कम मिलती है। अभी जबकि फलों का परिवहन महंगा हो गया है, ऐसे में उसे फेंकने में ही भलाई है क्योंकि दिल्ली में उस सेब का जो दाम मिलेगा, हो सकता है कि उसका ट्रांसपोर्ट कॉस्ट उससे ज्यादा हो।
सड़कें बंद होने से हो रहा है घाटा
हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों भारी बारिश हुई है। इस वजह से वहां की ग्रामीण सड़क, लिंक रोड, स्टेट इाईवे तो क्षतिग्रस्त हुए ही हैं। कई नेशनल हाईवे भी क्षतिग्रस्त हैं। इस वजह से बागवानों को नुकसान हो रहा है। इस समय अगेती किस्म के सेब पकते हैं। जब सेब पेड़ में पक गए तो उसकी तुड़ाई जरूरी है। तुड़ाई नहीं होगी तो सेब बाग में ही सड़ जाएंगे। इसलिए बागवान उसे तोड़ कर नाले में बहा रहे हैं।
विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाने की कोशिश में बागवानों का कहना है कि पिछले 20 दिन से सड़क बंद हैं। इस वजह से वह अपना सेब मंडियों तक पहुंचाने में असमर्थ हैं। इसलिए सेब खराब हो गया, जिसे नाले में बहाने के अलावा कोई रास्ता नहीं। वहीं इस वीडियो पर लोग अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। खासकर विपक्षी नेता इसे सरकार के खिलाफ मुद्दे के रूप में भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
सेब का बढ़ा है रकबा पर प्रोडक्शन घट गयापिछले कुछ साल में देखें तो हिमाचल प्रदेश में सेब का प्रोडक्शन काफी घटा है। साल 2010-11 के दौरान वहां 8.02 लाख टन सेब की उपज हुई थी जो कि पिछले साल 6.11 लाख टन ही रही। हालांकि इसके रकबे में काफी बढ़ोतरी हुई है। राज्य के कुल फल उत्पादन में सेब की हिस्सेदारी करीब 85 फीसदी है। साल 1950-51 में करीब 400 हैक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती होती थी। यह साल 2021-22 में बढ़ कर 1,15,016 हैक्टेयर हो गया है।
मौसम को ठहरा रहे हैं जिम्मेदार सेब के जानकारों का कहना है कि हिमाचल में सेब का उत्पादन घटने के पीछे मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। पहले जम कर सर्दी पड़ती थी। बर्फबारी भी खूब होती थी। इसलिए समुद्र तल से 4000 से 5000 फुट की ऊंचाई पर भी अच्छी क्वालिटी वाले सेब फलते थे। लेकिन जैसे-जैसे मौसम में बदलाव हो रहा है, बेहतरीन क्वालिटी वाले सेब अब 6000 फुट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित बागों में ही फलते हैं।
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