सब्जियों के दाम कब होंगे कम? आरबीआई गवर्नर ने महंगाई पर कहीं ये 10 बातें, आपके लिए जानना जरूरी
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07-12-2024 01:19 PM
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में महंगाई फिर से चर्चा का मुख्य विषय रही। शुक्रवार को शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली MPC ने रेपो रेट को लगातार ग्यारहवीं बार 6.5% पर बनाए रखने का फैसला किया। समिति ने अपना 'तटस्थ रुख' भी जारी रखा। उन्होंने महंगाई को 4% के लक्ष्य पर रखने को लेकर जोर दिया। साथ ही आर्थिक विकास को भी समर्थन देने की बात कही। अक्टूबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.2% हो गई। यह मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण है। इससे RBI की चिंता बढ़ गई है। खाद्य महंगाई दर 15 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 10.9% पर पहुंच गई। इससे खुदरा महंगाई RBI के 4% के लक्ष्य और 2-6% के टॉलरेंस बैंड से भी ऊपर चली गई। दास ने महंगाई पर विस्तार से बात की और बताया कि कब तक राहत मिलने की उम्मीद है।
1. खुदरा महंगाई का अनुमान बढ़ा
RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को 4.5% से बढ़ाकर 4.8% कर दिया है। यह खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार दबाव और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण है।
2. तीसरी तिमाही में खाद्य महंगाई रहेगी ज्यादा
शक्तिकांत दास ने चेतावनी दी कि तीसरी तिमाही में खाद्य महंगाई दर ऊंची रहने की संभावना है। इसका कारण सप्लाई में रुकावटें और फसलों की पैदावार में उतार-चढ़ाव है। चौथी तिमाही में रबी की फसल आने के बाद इसमें कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
3. सब्जियों की कीमतों में मौसमी गिरावट
एक अच्छी खबर यह है कि सब्जियों की कीमतों में मौसमी गिरावट की उम्मीद है। इससे आम लोगों के बजट को कुछ राहत मिलेगी।
4. तेल कीमतों के बढ़ते रुझान से चिंता
आरबीआई ने खाने के तेल की कीमतों के बढ़ते रुझान पर चिंता जताई। आयात शुल्क में हालिया बढ़ोतरी और खाने के तेल की वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई पर और दबाव पड़ सकता है।
5. रबी की अच्छी पैदावार लाएगी राहत
शक्तिकांत दास को उम्मीद है कि चौथी तिमाही में खाद्य महंगाई दर में कमी आएगी। सब्जियों की कीमतों में मौसमी गिरावट और खरीफ की फसल के आने से ऐसा होगा। अच्छी मिट्टी की नमी और जलाशयों में पर्याप्त पानी रबी की अच्छी पैदावार के लिए अनुकूल है।
6. इन्फ्लेशन आउटलुक निगेटिव
दास के अनुसार, अक्टूबर की नीति के बाद से निकट भविष्य के लिए इन्फ्लेशन आउटलुक 'कुछ प्रतिकूल' हो गया है। वैश्विक ऊर्जा की कीमतों और घरेलू आपूर्ति-पक्ष में व्यवधान महंगाई को बढ़ा सकते हैं।
7. लक्ष्य को पाना कठिन हुआ
आरबीआई गवर्नर ने स्वीकार किया कि 4% महंगाई के लक्ष्य को स्थायी रूप से हासिल करना मुश्किल साबित हो रहा है।
8. घरेलू आर्थिक स्थिति 'संतुलित रास्ते पर'
मुद्रास्फीति के दबाव के बावजूद दास ने कहा कि घरेलू आर्थिक स्थिति 'संतुलित रास्ते पर' है। स्थिर विकास और मजबूत बुनियादी चीजें कुछ स्थिरता प्रदान करती हैं। 'MPC अर्थव्यवस्था के समग्र हित में महंगाई और विकास के बीच संतुलन बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।'
9. डिस्पोजेबल इनकम पर असर
ज्यादा महंगाई उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल इनकम को कम करती है। इससे निजी खपत कम होती है, जो वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
10. संरक्षणवाद बढ़ा सकता है महंगाई
दास ने बढ़ते वैश्विक संरक्षणवाद को एक संभावित चुनौती के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी नीतियां वैश्विक विकास को कमजोर कर सकती हैं और आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार प्रवाह को बाधित करके महंगाई को बढ़ा सकती हैं।
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