उज्जैन । उज्जैन-मक्सी टू-लेन रोड 704 करोड़ रुपये से फोरलेन सड़क में तब्दील किया जाएगा। उज्जैन शहरी क्षेत्र में आइटीआई के सामने इंदौर रेल सेक्शन पर बने रेलवे ओवर ब्रिज के समानांतर एक ओर पुल बनाया जाएगा। सड़क निर्माण के लिए पांच महीने पहले मिली प्रशासकीय स्वीकृति के बाद डीपीआर और फिजिबिलिटी सर्वे का काम पूर्ण होने की कगार पर है।
वर्तमान में मार्ग पर यूजर फी योजना अंतर्गत महिला स्वसहायता समूह द्वारा टोल टैक्स का संचालन हो रहा है। मालूम हो कि मध्यप्रदेश की सरकार उज्जैन में औद्योगिकी पारिस्थति तंत्र का निर्माण करने के लिए शहर के सभी पहुंच मार्गों को फोरलेन सड़क में बदल रही है।
आगर रोड, देवास रोड का निर्माण हो चुका है। गरोठ, बड़नगर-बदनावर रोड का निर्माण प्रगति पर है। इंदौर रोड़ को सिक्सलेन में बदलने को भी धरातल पर पिछले महीने काम शुरू करवा दिया गया है। अगले चरण में 36 किलोमीटर लंबा मक्सी रोड, 44 किमी लंबा उन्हेल-नागदा-जावरा रोड, 49 किलोमीटर लंबा नया इंदौर रोड फोरलेन (चिंतामन गणेश से इंदौर एयरपोर्ट तक) सड़क मार्ग बनाना प्रस्तावित है।
ये सारा काम कराने को मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने योजना बनाई है जो सिंहस्थ- 2028 की कार्य योजना का हिस्सा है। कहा गया है कि उज्जैन में ट्रांसपोर्टेशन, यातायात की सुविधा सुलभ होगी तो उज्जैन तेजी से विकास करेगा। यहां उद्योग स्थापित करने को बड़े-बड़े समूह भी निवेश करेंगे। इसलिए विभिन्न मार्गों को चौड़ा करने के साथ 14 नए पुल बनाने की भी तैयारी की जा रही है।
तीन पुल निर्माण के लिए ठेकेदार फर्म का चयन करने की कार्रवाई प्रक्रियाधिन है। ये पुल फ्रीगंज क्षेत्र में चामुंडा माता मंदिर चौराहे से फ्रीगंज के बीच, तीन बत्ती चौराहे से मुल्लापुरा मार्ग पर, लालपुल के समीप शिप्रा नदी पर बनाना प्रस्तावित है। सारा निर्माण कार्य 2028 में लगने वाले महाकुंभ सिंहस्थ से पहले कराने का लक्ष्य रखा गया है।
इदौर रोड सिक्सलेन निर्माण का निर्माण 735 करोड़ रुपये से होना है, जिसकी शुरुआत करने से पहले मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) से अनुबंधित ठेकेदार फर्म उदयपुर की रवि इन्फ्राबिल्ड ने मिट्टी परीक्षण कराना शुरू किया है। पिछले माह इंदौर क्षेत्र में ये काम किया था अब उज्जैन में किया जा रहा है।
46.475 किलोमीटर लंबे मार्ग में दो वृहद पुल, दो फ्लाई ओवर, छह अंडरपास बनाया जाना है। पुल, फ्लायओवर बनाने के लिए नींव स्तर पर कितनी खोदाई करना होगी, किस डिजाइन के कितनी लोडिंग क्षमता के बीम-काम खड़े करना होंगे, इसके लिए मिट्टी परीक्षण यानी जियो टेक्निकल सर्वेक्षण कार्य किया जा रहा है। टीम ने त्रिवेणी शनि मंदिर के समीप शिप्रा नदी पर बने पुल के समक्ष नया पुल बनाने के लिए यहां जमीनी सर्वे की शुरूआत की।