कैसे कम होगी कीमत
सरकार ने 2018-19 में टमाटर, प्याज और आलू की वैल्यू चेन को दुरुस्त करने के लिए ऑपरेशन ग्रीन्स चलाया था। इसका मकसद किसानों को टमाटर, प्याज और आलू की उचित कीमत दिलाना, नुकसान को कम करना और कीमतों में उतारचढ़ाव पर अंकुश लगाना था। इस योजना को लॉन्च हुए चार साल हो चुके हैं लेकिन इन सब्जियों की कीमत में उतारचढ़ाव जारी है। मई 2022 में टमाटर की खुदरा कीमत सालाना आधार पर 135.6 परसेंट अधिक थी जबकि जून 2022 में यह 158.6 परसेंट अधिक थी। जुलाई 2022 में सीपीआई महंगाई में टमाटर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा थी।रॉय और गुलाटी के मुताबिक सरकार कुछ कदम उठाकर टमाटर की कीमत पर अंकुश लगा सकती है। कम से कम 10 परसेंट टमाटर की प्यूरी बनाई जानी चाहिए ताकि टमाटर की कीमत बढ़ने पर लोग इसका इस्तेमाल कर सकें। इससे किसानों को भी मदद मिलेगी। प्यूरी पर जीएसटी 12 परसेंट से घटाकर पांच परसेंट होना चाहिए। साथ ही डायरेक्ट मार्केटिंग, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और प्राइवेट मंडी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि आढ़तियों की भूमिका को कम से कम किया जा सके। इससे कंज्यूमर के लिए भी कीमत में कमी आएगी। इससे कंप्टीशन बढ़ेगा, मंडियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा और फसल को कम नुकसान होगा। साथ ही देश में टमाटर की खेती में पॉलीहाउसेज को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे देश में टमाटर की खुदरा कीमत कम करने में मदद मिलेगी।