होम लोन की बढ़ती EMI के बोझ से अभी नहीं मिलेगी राहत, जानिए कब तक मिल सकती है खुशखबरी
Updated on
06-07-2023 07:57 PM
नई दिल्ली: सब्जियों, दालों और मसालों के बढ़ रहे दाम और बढ़ रही महंगाई से आम आदमी परेशान है। उसकी जेब पर हो हरे असर को देखते हुए हो सकता है अगस्त में होने वाली RBI की पॉलिसी समीक्षा में पॉलिसी मेकर्स ब्याज दरों में कटौती को टालने का विचार करें। जानकारों का कहना है कि हो सकता है पॉलिसी मेकर्स इसे जस के तस रखें। गर्मी और बेमौसम बारिश के कारण जरूरी फूड आइटम्स के दाम पूरे भारत में बढ़ गए हैं। टमाटर तो 150-160 रुपये किलो पर पहुंच गया है। अदरक, लौकी, हरी मिर्च के बढ़े हुए दामों ने लोगों के खाने का स्वाद कम कर दिया है। इकॉनमिस्ट्स का कहना है कि पॉलिसी रेट को सेट करने वाले मैंबर्स को मजबूरन अपने इन्फ्लेशन टार्गेट को रिवाइज करना होगा।
गौरतलब है कि RBI ने हाल ही में रेपो रेट्स की दरों में कोई भी बदलाव नहीं किया है। अब सभी लोगों को इस बात का इंतजार है कि क्या रिजर्व बैंक रेपो रेट्स में कटौती करेगा। एक्सपर्ट्स के अनुसार फिलहाल ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद काफी कम नजर आ रही है।
क्या कहते हैं जानकार
HDFC सिक्योरिटीज के हेड ऑफ रिसर्च दीपक जसानी ने बताया कि इस समय पर रीपो रेट्स में बदलाव लिक्विडिटी के हिसाब से भी नहीं किया जा सकता है। इस वजह से भी RBI ने दरों में स्थिरता के रुख को अपनाया है। फिलहाल यह अभी भी लक्ष्य के ऊपर ही नजर आ रही है और महंगाई भी बढ़ रही है। RBI गवर्नर ने कहा है कि महंगाई को 4 फीसदी पर कायम रखने की उम्मीद की जा रही है। वहीं, क्रिसिल रेटिंग्स के चीफ इकॉनमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी ने भी कहा कि RBI चालू वित्त वर्ष में दरों पर यथास्थिति बनाए रखेगा और केवल 2024 की मार्च तिमाही में कटौती शुरू करेगा।
CareEdge में चीफ इकॉनमिस्ट रजनी सिन्हा का कहना है कि गर्मियों में सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। ऐसे में RBI का पॉलिसी प्लान अभी तो बदलेगा नहीं। हां, वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही के लिए महंगाई का टारगेट जरूर बढ़ सकता है और रेट कटौती की उम्मीद को बल मिल सकता है।
आज वित्त मंत्री करेंगी बैठक
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ बैठक करेंगी। वे बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन की समीक्षा करेंगी। यह वित्त वर्ष 2022-23 के वित्तीय परिणाम आने के बाद पहली समीक्षा बैठक है। पिछले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का लाभ रेकॉर्ड 1.04 लाख करोड़ रुपये रहा।
सूत्रों के अनुसार वित्तीय प्रदर्शन के अलावा बैठक में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए निर्धारित लक्ष्यों के प्रॉग्रेस कार्ड का भी जायजा लिया जाएगा। इन योजनाओं में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), स्टैंड-अप इंडिया, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और कोविड-19 महामारी से प्रभावित उद्यमों की मदद के लिए शुरू आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना शामिल हैं। गौरतलब है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वित्त वर्ष 2017-18 में 85,390 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। वहीं, वर्ष 2022-23 में उनका लाभ 1,04,649 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। कुल लाभ में देश के सबसे बड़े बैंक SBI की हिस्सेदारी लगभग आधी रही।
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