थम गया दुनिया की फैक्ट्री का पहिया! छिपे खतरों से बुरी तरह डरा हुआ है चीन
Updated on
31-07-2023 02:16 PM
नई दिल्ली: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश चीन को आर्थिक मोर्चे पर एक और झटका लगा है। जुलाई में देश में फैक्ट्री एक्टिविटी में एक बार फिर गिरावट आई है। लगातार चौथे महीने चीन में फैक्ट्री एक्विटीज में गिरावट आई है। चीन के इकॉनमी सुस्ती से बाहर नहीं आ पा रही है और एक्सपोर्ट में भी भारी कमी आई है। सरकार ने इकॉनमी को रफ्तार देने के लिए नए उपायों की घोषणा की है। अमेरिका और कई पश्चिमी देशों ने चीन पर निर्भरता कम करने के लिए उपाय करने शुरू कर दिए हैं। इन देशों की कई कंपनियां भारत समेत दूसरे देशों में ठिकाना तलाश रही हैं। इस कारण देश में प्रॉडक्शन में कमी आई है। सोमवार को जारी आधिकारिक मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग इंडेक्स (PMI) 49.3 रहा। अगर यह 50 से कम रहता है तो इसके क्रॉन्ट्रैक्शन माना जाता है।
हालांकि जुलाई में पीएमआई जून के मुकाबले मामूली रूप से बेहतर रहा। जून में देश का पीएमआई 49.0 रहा था। हालांकि नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (NBS) के झाओ किंगदे के मुताबिक पीएमआई में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। चीन की सरकार अपनी ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि देश में उपभोक्ता खर्च में भारी कमी आई है। देश में नॉन-मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई भी जुलाई में गिरकर 51.5 रह गई जो जून में 53.2 था। यह सर्विसेज और कंस्ट्रक्शन सेक्टर्स में बिजनस सेटिंमेट बताता है। इससे साफ है कि चीन में कैपिटल मार्केट सर्विसेज और रियल एस्टेट गतिविधियों में भी गिरावट आई है।
छिपे खतरे
हाल में चीन को आर्थिक मोर्चे पर चारों तरफ से निराशा ही हाथ लगी है। दूसरी तिमाही में चीन की इकॉनमी 6.3 परसेंट की रफ्तार से बढ़ी जबकि एनालिस्ट्स इसके 7.1 परसेंट रहने की उम्मीद कर रहे थे। खपत में सुस्ती, रियल एस्टेट सेक्टर में क्राइसिस और डिफ्लेशन की आशंका के कारण चीन की हालत खस्ता है। इनवेस्टमेंट बैंक Macquarie के इकनॉमिस्ट लैरी हू का कहना है कि चीन की स्थिति जापान की याद दिलाती है जहां कई साल तक स्टैगनेशन की स्थिति पैदा हो गई थी। चीन को लंबे समय से दुनिया का वर्कशॉप माना जाता है। देश काफी हद तक एक्सपोर्ट पर निर्भर है। लेकिन हाल में उसके एक्सपोर्ट में भारी कमी आई है। अमेरिका और यूरोप में मंदी का खतरा और महंगाई बढ़ने से दुनियाभर में चीन के सामान की डिमांड कम हो रही है।
चीन के टॉप लीडरों ने आगाह किया है कि इकॉनमी को नई मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि कुछ सेक्टर्स में कई छिपे हुए खतरे भी हैं। झाओ ने कहा कि विदेशों से मिल रहे कम ऑर्डर मिल रहे हैं। इसके साथ ही डिमांड में कमी चीन की मैन्युफैक्चरर्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। देश को इससे बाहर निकालने के लिए सरकार ने नए उपायों की घोषणा की है। सोमवार को सरकार ने खपत बढ़ाने के लिए 20 सूत्री प्लान की घोषणा की। इसमें हाउसिंग डिमांड बढ़ाने के साथ-साथ कल्चर एंड टूरिज्म को गति देने और इलेक्ट्रिक वीकल्स को बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं।
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