खुशबू ठक्कर के ट्वीट के जवाब में जोमैटो ने स्पष्ट किया कि कंटेनर चार्ज रेस्टोरेंट द्वारा लगाया जाता है। हालांकि कंपनी ने इसमें जीएसटी को भी जोड़ दिया। जोमैटो ने कहा कि टैक्स यूनिवर्सल है और भोजन के प्रकार के आधार पर 5% से 18% तक भिन्न हो सकते हैं। पैकेजिंग शुल्क उनके रेस्टोरेंट पार्टनर द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, जो इस अभ्यास को लागू करते हैं और इससे लाभ कमाते हैं। जोमैटो ने कहा कि इस बारे में आगे स्पष्टीकरण चाजिए तो वह एक निजी संदेश के माध्यम से ऐसा कर सकती हैं।
इस ग्राहक ने तर्क दिया था कि ग्राहकों को बिना अतिरिक्त लागत के कंटेनर उपलब्ध कराना रेस्टोरेंट की जिम्मेदारी होनी चाहिए। इस पर कुछ यूजर्स खुशबू से सहमत थे। उन्होंने इस तरह के शुल्क लगाने के लिए रेस्टोरेंट की आलोचना की। जबकि अन्य का मानना था कि उन्हें अपना ऑर्डर देने से पहले पैकेजिंग शुल्क की जांच करनी चाहिए थी। एक यूजर्स ने कहा “यह निर्भर करता है कि इसे पहले घोषित किया गया था या बाद में जोड़ा गया था। अगर यह पहले जैसा है तो शिकायत नहीं कर सकते।''
एक यूजर ने तो भारतीय ग्राहकों की मानसिकता पर भी सवाल कर दिया। उन्होंने लिखा “ईमानदारी से कहें तो यह भारतीय ग्राहकों की मानसिकता को दर्शाता है। यहां एक ऐसा बाजार तैयार हो गया है जहां भारतीय ग्राहक मुफ्त डिलीवरी आदि की उम्मीद करते हैं और डिलीवरी चार्ज, टैक्स आदि जैसे वैध खर्चों के लिए भुगतान करने को तैयार नहीं हैं। हम मुफ्त की चीजों के आदी हो गए हैं। ”