सारंगढ़ बिलाईगढ़। कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई। कलेक्टर डॉ कन्नौजे ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का जिले की स्थिति का समीक्षा करते हुए जिले के सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि, जिले के तीन माह के समस्त गर्भवती महिलाओं का 100 प्रतिशत पंजीयन करने के निर्देश दिए, जिससे गर्भवती माता का टीकाकरण और चेकअप समय में हो सके तथा उच्च जोखिम गर्भवस्था का त्वरित पहचान हो सके और त्वरित पहचान होने पर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी की जाएगी जिससे मातृत्व मृत्युदर व शिशु मृत्युदर में कमी आएगी। इससे शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव होंगे और बच्चे स्वस्थ जन्म लेंगे।
उच्च जोखिम गर्भावस्था उपचार
गर्भधारण को उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जब मां, विकासशील भ्रूण या दोनों को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान या बाद में जटिलताओं के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। माँ से संबंधित, भ्रूण से संबंधित या गर्भावस्था से संबंधित हो सकते हैं। माँ की अधिक या छोटी उम्र, शरीर में पहले से मौजूद अतिरक्तदाब, मधुमेह या दिल की बीमारी, भ्रूण मृत्यु (आईयूएफडी) या मृत जन्म, जन्मजात दोष, एकाधिक गर्भधारण, भ्रूण-विकास प्रतिबंध, उच्च रक्त चाप,समय से पहले या बाद में जन्म, असामान्य नाल , कोविड 19, एचआईवी एड्स, गुर्दे की बीमारी, शरीर का कम वजन, मानसिक स्वास्थ्य अवसाद, मोटापा, गलग्रंथि की बीमारी, रक्त के थक्के विकार, स्वप्रतिरक्षी रोग आदि उच्च जोखिम वाली गर्भधारण के कारण में शामिल है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
यह राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। जिले के जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और चिन्हित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रत्येक माह के 9 एवं 24 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत, हर महीने की गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त में प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाता है, जिसमें जांच और दवाएं शामिल हैं।
जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में हुई जिले के स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा
बैठक में स्वास्थ्य केंद्र निर्माण के संबंध में वन विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र और जहां पुलिस बल की जरूरत वहां थाना प्रभारी से पुलिस बल पर चर्चा हुई। कलेक्टर ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में चिरायु टीम के कार्यों की निरन्तर कार्य करने के निर्देश दिए। चिरायु टीम के प्रभारी डॉक्टर खरे ने कलेक्टर को जानकारी दी कि चिरायु कार्यक्रम में सभी प्रकार के बीमारी का इलाज करते हैं।
बैठक में जिले की सामान्य जानकारी दी गई, जिसमें अस्पतालों की संख्या, भवन विहीन अस्पताल, कर्मचारियों के रिक्त, सेटअप स्वीकृति और कार्यरत शामिल थे। कलेक्टर को डॉक्टरों ने परिवार नियोजन के लिए दक्ष्य दंपत्ति, मातृ मृत्युदर, संस्थागत प्रसव, हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की रजिस्ट्रेशन, गर्भवती महिलाओं का चेकअप, टीकाकरण, बालक बालिका जन्मदर, शिशु एवं बाल मृत्यु अंकेक्षण, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य बीमा, बच्चों की बीमारी का ए,बी,सी,डी वर्ग की स्थिति की जानकारी दी। इसी प्रकार सीएमएचओ डॉ एफ आर निराला ने लिम्फेडेमा, हाइड्रोसिल, टीबी, एनीमिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान में जिले की स्थिति के बारे में जानकारी दी। कलेक्टर ने डॉक्टरों की बैठक में समीक्षा करते हुए कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के माध्यम से एनीमिया को खत्म करने के लिए किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को पोषक पदार्थ देने के निर्देश दिए।
कलेक्टर ने जिले के सभी आश्रम छात्रावास में प्रत्येक माह में बच्चों के हेल्थ चेकअप करने के निर्देश दिए। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले के नदियां किनारे बसे गांव में बरसात के दिनों में होने वाले बीमारी की जानकारी कलेक्टर ने ली। कलेक्टर ने गांव में टीबी मरीज की जांच ग्राम सभा के दौरान होना चाहिए।
बैठक में सिविल सर्जन, सीईओ जिला पंचायत, एसडीएम, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ साथ जिला स्तरीय स्वास्थ्य समिति के कई इकाई जैसे चिरायु, कोटपा, रेडक्रॉस के नोडल अधिकारी उपस्थित थे।