आम आदमी की जेब पर बढ़ सकता है महंगाई का बोझ, इस वजह से बढ़ी वित्त मंत्रालय की चिंता, पूरी डिटेल
Updated on
07-07-2023 02:42 PM
नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय की वार्षिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि अगर अल नीनो का असर बढ़ा तो देश के कंज्यूमर के लिए स्थिति खराब होने की आशंका है। यानी खाद्य वस्तुओं की चीजों में तेजी रहने की आशंका है। समीक्षा में इकॉनमी को लेकर कहा गया है कि बेहतर मैनेजमेंट से भारत की इकॉनमी में स्थिरता आई है, मगर अब भी चुनौतियां बरकरार हैं। गौरतलब है कि इस वक्त टमाटर सहित कई सब्जियों के दाम बढ़े हुए हैं। दाल, चावल और गेहूं के दामों को कंट्रोल करने के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
वित्त मंत्रालय की मई के लिए मासिक आर्थिक समीक्षा और 2023 की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कारक विकास की गति को बाधित कर सकते हैं उनमें भू-राजनीतिक तनाव का बढ़ना, ग्लोबल फाइनेंशल सिस्टम में बढ़ी हुई अस्थिरता, दुनिया शेयर बाजारों में गिरावट का रुख, अल नीनो प्रभाव की उच्च तीव्रता और व्यापार गतिविधियों में प्रमुख रूप से सुस्ती शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में फैली जटिल चुनौतियों के बीच वृहद आर्थिक प्रबंधन शानदार रहा है। इसने भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता को बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है और आज हमारा देश दूसरे देशों के मुकाबले अधिक तेजी से आगे बढ़ने की राह पर है।
शुल्कों में हो सकती है कटौती
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार महंगाई के दबाव को कम करने के लिए शुल्कों में कटौती कर सकती है और कल्याण पर खर्च बढ़ा सकती है। इसके अलावा सरकार अपने पूंजीगत व्यय के बढ़े प्रावधान को कायम रख सकती है, जिसकी वजह से आज निजी निवेश लाने में मदद मिल रही है। भारत की इकॉनमी की ग्रोथ की जो रफ्तार बीते वित्त वर्ष में शुरू हुई है, वह 2023-24 में भी जारी है। तमाम आंकड़े इसकी ओर इशारा करते हैं। शहरी मांग मजबूत बनी हुई है। गाडि़यों बिक्री के ऊंचे आंकड़ों, ईंधन की खपत और UPI लेनदेन में तेजी का दौर जारी है। साथ ही दोपहिया और तिपहिया की मजबूत बिक्री के साथ ग्रामीण मांग भी सुधार की राह पर है।
चावल की कीमतों में 9 पर्सेंट की तेजी
देश में चावल की कीमत नौ फीसदी की तेजी के साथ पांच साल के हाई पर पहुंच गई है। इस साल अल नीनो के कारण मॉनसून में नरमी की संभावना है और उससे पहले ही चावल की कीमत में तेजी आने लगी है। इधर फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) का ग्लोबल राइस प्राइस Index 11 साल के हाई पर पहुंच चुका है। इसके आगे भी ऐसे ही बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
राइस एक्सपोर्ट्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट बीके कृष्णा राव ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे सस्ता चावल बेच रहा था। न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी से कीमतें बढ़ गईं। इससे दूसरे देशों ने भी चावल की कीमत बढ़ानी शुरू कर दी है। ओलम इंडिया के राइस बिजनस के वाइस प्रेजिडेंट नितिन गुप्ता ने कहा कि अल नीनो का असर केवल भारत तक सीमित नहीं है। इसका असर चावल उपजाने वाले सभी देशों पर पड़ता है। लिमिटेड सप्लाई के कारण चावल की कीमत पहले ही बढ़ रही है। अगर उत्पादन में गिरावट आई तो फिर यह काफी बढ़ जाएगी।
7 फीसदी बढ़ी कीमतें
गौरतलब है कि दुनिया के चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी होने के साथ ही यह इसका सबसे सस्ता आपूर्तिकर्ता भी है। देश में किसानों को धान की ज्यादा बुआई के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पिछले महीने सरकार की ओर से किसानों को नए सीजन के आम चावल के लिए भुगतान की जाने वाली कीमत में 7% की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल यूक्रेन पर रूस के हमले और मौसमी कारणों से चावल की सप्लाई टाइट है।
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