18 साल पहले टेकऑफ, ऊंची उड़ान के बाद Go First की क्रैश लैंडिंग, अब खरीदार की तलाश
Updated on
11-07-2023 01:26 PM
नई दिल्ली: सस्ते फ्लाइट टिकट पर हवाई सफर करवाने वाली एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। गो फर्स्ट एयरलाइंस दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। वित्तीय संकट से जूझ रही एयरलाइन Go First अब बिकने की कगार पर पहुंच चुकी है। स्वैच्छिक दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही गो फर्स्ट के बिकने की शुरुआत हो गई है। एयरलाइन की इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया देख रहे रेजोल्यूशन प्रोफेशनल शैलेंद्र अजमेरा ने गो फर्स्ट की बिक्री के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) मंगवाए हैं। उन्होंने अखबारों में विज्ञापन जारी कर गो फर्स्ट को खरीदने में रुचि रखने वाली कंपनियों से EoI मांगे हैं। इच्छुक कंपनियां 9 अगस्त, 2023 तक बोली लगा सकती है।
गो फर्स्ट के लिए खरीदार की तलाश
आपको बता दें कि एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) के तहत औपचारिक रूप से कंपनी के लिए संभावित निवेशकों और निवेश की तलाश करने की शुरुआत की जाती है। गो फर्स्ट की स्वामित्व वाली कंपनी वाडिया समूह एयरलाइन के रिवाइवल प्लान पर काम कर रही है। इच्छुक कंपनियां 9 अगस्त तक अपनी बोली लगा सकते हैं। 19 अगस्त, 2023 तक बोलीदाताओं की एक प्रोविजनल लिस्ट जारी कर दी जाएगी। जिसके बाद 24 अगस्त को इस प्रोविजनल लिस्ट पर आपत्तियां दे सकते हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक गो फर्स्ट के पूर्व प्रवर्तक वाडिया समूह भी कथित तौर पर संकटग्रस्त एयरलाइन के लिए बोली लगाने के लिए तैयार है। रिपोर्ट के मुताबिक समूह गो फर्स्ट के लिए संयुक्त रूप से बोली लगाने के लिए वाडिया समूह निजी इक्विटी फंड और वैकल्पिक निवेश फंड के साथ बातचीत कर रहा है। ईटी की रिपोर्ट में कंपनी के करीबी लोगों के हवाले से लिखा गया है कि वाडिया ग्रुप भी इसमें हिस्सा ले सकता है। समूह ने इसके लिए अपने वकील से बात की है। बोली को लेकर अपनी योग्यता की जांच कीहै। कंपनी का कहना है कि चूंकि वो किसी लोन के डिफॉल्टर नहीं है और अपनी स्वैच्छा से दिवाला प्रक्रिया में गए, इसलिए वो बोली लगाने के लिए योग्य हैं। खबर के मुताबिक वाडिया समूह गो फर्स्ट को जारी रखना चाहता है।
3 मई से सभी उड़ानें रद्द
एयरलाइन कंपनी Go First के आर्थिक मुश्किलों से गुजरने के कारण 3 मई से ही सभी उड़ानें रद्द हैं। एयरलाइन ने 12 जुलाई तक सभी फ्लाइट्स को रद्द कर रखा है। बार-बार इसकी डेडलाइन बढ़ाई जाती है। गौरतलब है कि Go First एयरलाइन ने अमेरिकी इंजन निर्माता प्रैट एंड व्हिटनी को परिचालन बंद होने का जिम्मेदार ठहराया। एयरलाइन ने कहा कि कंपनी की ओर से इंजनों की आपूर्ति न करने के कारण उन्हें भारी राजस्व घाटे का नुकसान हुआ। उनकी आधे से अधिक विमान खराब रखरखाव और ऑन टाइम सर्विस नहीं मिल पाने के कारण हवाई अड्डे पर खड़े रहे, जिसका उन्हें भारी नुकसान हुआ।
11 हजार करोड़ का कर्ज
गो फर्स्ट 11,463 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ से दबा है। भारी राजस्व घाटे के कारण उन्हें विमान सेवा को रोकना पड़ा। एयरलाइन को बचाने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में स्वैच्छिक दिवाला कार्यवाही शुरू करने के लिए याचिका दायर की, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
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