परिवार नियोजन और मातृत्व स्वास्थ्य पर डॉलर 1 के व्यय से डॉलर 8.40 का लाभ!
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष सलाहकार डॉन मिनोट ने कहा कि "30 साल पहले ज़ारी किए गए जनसंख्या और विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीपीडी) 1994 के और बीजिंग घोषणापत्र 1995 इसलिए उल्लेखनीय हैं क्योंकि दोनों ने जेंडर समानता और महिला सशक्तिकरण को विकास के केंद्र में रखा था। इन दोनों ने स्थापित किया था कि एक महिला का अपनी प्रजनन क्षमता पर नियंत्रण उसके सभी अधिकारों की मूल आधारशिला है। यही आधार, सतत विकास लक्ष्यों में भी केंद्रीय रहा है।" डॉन मिनोट का मानना है कि, "यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तक पहुँच, महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाती है, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है तथा आर्थिक अवसर और जेंडर समानता के लिए अनिवार्य बदलाव के लिए अहम कड़ी बनने की संभावना सशक्त होती है। संयुक्त राष्ट्र (यूएनएफपीए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, विकासशील देशों में यदि परिवार नियोजन और मातृत्व स्वास्थ्य पर अमरीकी डॉलर 1 का निवेश हो तो अमरीकी डॉलर 8.40 का लाभ वापस मिलता है। डॉन मिनोट ने सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि "मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण प्रगति हमने सतत विकास लक्ष्य संकेतक 5.6.1 पर की है, जो एक महिला की अपने यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में खुद निर्णय लेने की क्षमता को मापता है। प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि आधी से अधिक (56%) विवाहित महिलाएँ अब यह निर्णय लेने में सक्षम हैं। हालाँकि इसका मतलब यह है भी है कि 44% विवाहित महिलाएँ अभी भी अपने स्वास्थ्य (जिसमें प्रजनन और यौनिक स्वास्थ्य शामिल हैं), और गर्भ निरोधक के उपयोग संबंधी आवश्यक निर्णय नहीं ले सकती हैं, जो अत्यंत चिंता का विषय है।"
इस चौराहे पर क्या सरकारें सबके-अधिकारों वाला मार्ग अपनायेंगी?
वैश्विक स्वास्थ्य अधिकार के सर्वोच्च स्तंभों में से एक हैं डॉ हैलियसस गेटाहुन। अनेक वर्षों तक विश्व स्वास्थ्य संगठन मुख्यालय में टीबी और एचआईवी पर सेवारत रहने के बाद उन्होंने पिछले दशक में 4 वैश्विक संस्थानों को रोगाणुरोधी प्रतिरोध (दवा प्रतिरोधकता) पर एकजुट किया - विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन, और वैश्विक पशु स्वास्थ्य संगठन। वर्तमान में डॉ गेटाहुन, हेडपैक के अध्यक्ष हैं जो स्वास्थ्य और विकास पर वैश्विक दक्षिण के देशों में साझेदारी को मजबूत करने का कार्यरत है। डॉ गेटाहुन, ग्लोबल सेंटर फॉर हेल्थ डिप्लोमेसी एंड इंक्लूजन के भी संस्थापक हैं। उन्होंने कहा कि "जब जेंडर समानता और स्वास्थ्य अधिकार की बात आती है तो हम वर्तमान में एक चौराहे पर खड़े हैं। स्वास्थ्य के अधिकार (जिसमें गर्भपात अधिकार भी शामिल है) पर हमला पहले से कहीं अधिक है। यह एक ऐसा समय है जब हमें एकजुट होने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्रत्येक व्यक्ति को - चाहे उनका लिंग, लैंगिकता या जेंडर या जन्म स्थान कोई भी हो - स्वास्थ्य का अधिकार बराबरी और सम्मान से मिले। यही कारण है कि वैश्विक स्वास्थ्य वार्ता में वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने के लिए ग्लोबल सेंटर फॉर हेल्थ डिप्लोमेसी एंड इंक्लूजन की स्थापना की गई थी।"
बहुपक्षीयवाद और जन स्वास्थ्य संस्थाओं पर हमला
अमरीकी ट्रम्प सरकार ने अनेक जन स्वास्थ्य संस्थाओं पर हमला बोल दिया है। संयुक्त राष्ट्र की विश्व स्वास्थ्य संगठन हो या अमरीकी सरकार की सीडीसी (रोग नियंत्रण संस्था), आयुर्विज्ञान अनुसंधान हो या विकासशील देशों में अमरीकी पैसे से पोषित स्वास्थ्य या विकास कार्यक्रम - सब खंडित हैं या उन पर खंडित होने का ख़तरा मंडरा रहा है। कम-से-कम अमरीकी डॉलर का अनुदान मिलने की संभावना तो नगण्य ही है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन सीएसओ आयोग की एक ऑनलाइन बैठक में मैं शामिल रही। उसमें मेरे सवाल के जवाब में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस ने कहा कि अमरीका को यदि अपना अनुदान बंद करना है तो वह उसका स्वायत्त अधिकार है। हर देश, विश्व स्वास्थ्य संगठन को पूर्व-आंकलित अनुदान देता है जो अमरीका भी देता था - और वह इसके अतिरिक्त भी अनुदान देता आया था। यदि उसको इससे अतिरिक्त अनुदान नहीं देना है तो वह अमरीका का निर्णय है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी 2017 से प्रयास कर रहे हैं कि अमरीकी डॉलर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्भरता कम हो। फॉस फ़ेमिनिस्टा की नारीवादी कार्यकर्ता और मुख्य पैरवी अधिकारी फ़ेडेकेमी अकिनफैडरिन ने आश्चर्य जताया कि "मौलिक मानवाधिकार खतरे में हैं - विशेष रूप से स्वास्थ्य, प्रजनन और यौनिक स्वास्थ्य अधिकार और न्याय। बहुपक्षीयवाद और जन स्वास्थ्य संस्थाओं पर हमला आज हमारे सामने आने वाली मुख्य चुनौतियों में से एक है - स्वास्थ्य और जेंडर एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले तकनीकी निकायों की फंडिंग में कटौती और राजनीतिक हस्तक्षेप से लेकर उन ढाँचों पर हमला करना जिनपर हम वर्षों से काम कर रहे हैं। ये हमले उन ठोस समझौतों को कमज़ोर करते हैं, जिन्होंने हमें आबादी और सतत विकास के लिए एक मानवाधिकार दृष्टिकोण दिया था। ये समझौते, महिलाओं की जीवट वास्तविकताओं को गहराई से दर्शाते हैं कि महिलाओं और लड़कियों को स्वास्थ्य अधिकार मिलना अनिवार्य है, जिनमें उनके प्रजनन और यौनिक स्वास्थ्य अधिकार शामिल हैं। अभी मार्च 2025 में, सभी सरकारों ने 69वें संयुक्त राष्ट्र सीएसडब्लू के एक राजनीतिक घोषणा की थी, लेकिन प्रजनन और यौनिक स्वास्थ्य अधिकार और न्याय के बिना राजनीतिक घोषणा के क्या अर्थ हैं, क्या औचित्य है?" अकिनफैडरिन ने कहा कि, "जो भी प्रगति हमने जेंडर समानता और मानवाधिकारों के लिए कड़ी मेहनत से हासिल की है, वह सब पलटने को है क्योंकि जेंडर विरोधी आंदोलन जड़ पकड़ रहा है। सबसे भयभीत करने वाली बात यह है कि जेंडर विरोधी आंदोलन उन्हीं तर्कों और भाषा की आड़ में पितृसत्ता का जहर फैला रहा है जो जेंडर अधिकार कार्यकर्ता सदियों से उपयोग करते आए हैं। उदाहरण के लिए, जेंडर विरोधी लोगों ने 'जिनेवा कंसेंसस डिक्लेरेशन' नामक जेंडेर-विरोधी षड्यंत्र रचा और 'जिनेवा' शब्द का उपयोग किया जिससे कि लगे कि यह 'न्याय' और 'अधिकार' संबंधित है। पर असल में यह अधिकार-विरोधी, जेंडर-विरोधी और प्रतिगामी है। न तो यह अंतर-सरकारी समझौता है, न ही क़ानूनी रूप से बाध्य है, पर ऐसा धोखा देता है जिससे कि सरकारों को गुमराह कर सके, जेंडर समानता को पीछे धकेल सके और पितृसत्तात्मकता की जड़ मज़बूत कर सके।" मानवाधिकार के लिए चिकित्सक समूह (फिजिशियन फॉर ह्यूमन राइट्स) में कानून, शोध और पैरवी निदेशक डॉ पायल शाह इस बात से सहमत हैं: "मैं वैश्विक हित-धारकों से जेंडर समानता और स्वास्थ्य सेवाओं के पक्ष में त्वरित करवाई करने का आह्वान करती हूँ जिससे कि अमरीका द्वारा वित्तीय-सहायता की बंदी और स्वास्थ्य सेवा के अपराधिकरण (जैसे कि कुछ देशों में गर्भपात ग़ैर कानूनी है) के कुप्रभाव को पलटा जा सके। हमें "प्रजनन हिंसा" को भी उजागर करना होगा, जिसमें प्रजनन स्वायत्तता की विनाशकारी, व्यवस्थित वंचना पर ध्यान केंद्रित हो सके।" यदि यही हाल रहा तो यह तय है कि हम सतत विकास लक्ष्य-5 (जेंडर समानता) और लक्ष्य-3 (स्वास्थ्य अधिकार) को पूरा नहीं कर सकेंगे। इन लक्ष्य और 1995 की बीजिंग घोषणा की दिशा में जो भी थोड़ी-बहुत प्रगति हुई है, वह आज अधिकार-विरोधी दबाव के चलते खतरे में है। प्रतिगामी 'जिनेवा सर्वसम्मति घोषणा' (जेंडर-विरोधी जिनेवा कंसेंस डिक्लेरेशन) , मैड्रिड प्रतिबद्धता (जेंडर-विरोधी मैड्रिड कमिटमेंट), और गैग नियम (या गैग रूल जो अमरीकी सरकार का जेंडर विरोधी पुराना हथियार है), महिलाओं और जेंडर विविधता वाले लोगों के अधिकारों और शारीरिक स्वायत्तता के हिंसक कटौती के चंद उदाहरण हैं। शारीरिक स्वायत्तता की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जेंडर असमानता हमारी पीढ़ी के साथ समाप्त हो, हमारी सरकारों को तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक है। सर्वविदित है कि अभी एक लंबा सफ़र बाक़ी है।
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