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रूस का लूना-25 पहुंचा चंद्रमा की कक्षा में, भारत के चंद्रयान से 2 दिन पहले करेगा चांद पर लैंडिंग

Updated on 17-08-2023 01:50 PM
मॉस्‍को: रूस के लूनर मिशन लूना-25 पर दुनिया भर की नजरें गड़ी हुई हैं। वहीं भारत का चंद्रयान 3 भी अगले हफ्ते चांद पर लैंडिंग करने को तैयार है। बुधवार को लूना-25 को लेकर रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने बड़ी जानकारी दी है। एजेंसी ने कहा है कि रूस का लूनर अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया है। लूना-25 करीब पांच दिनों तक चंद्रमा का चक्कर लगाएगा। फिर 21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपना रास्ता बदलेगा। वहीं भारत का चंद्रयान-3 दो दिन बाद यानी 23 अगस्‍त को दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है।

लूना-25 ने मारा शॉर्टकट
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। वह इसी महीने शुरुआत में चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा है। दूसरी ओर, रूस ने 11 अगस्त को लूना 25 लॉन्च किया, मगर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के लिए इसने छोटा रास्‍ता अपनाया है। इस रास्‍ते के बारे में दुनिया की किसी भी अंतरिक्ष एजेंसी को नहीं मालूम है। रूस का लूना-25 सन् 1976 के बाद से यानी 47 सालों देश का पहला लूनर मिशन है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिणी ध्रुव पर पहले भी कई बार देशों ने लैंडिंग की कोशिशें की हैं। लेटेस्‍ट कॉन्‍टेस्‍ट रूस और भारत के बीच है। उनकी मानें तो चुनौती बहुत मुश्किल है और कोई भी देश खिताब जीतेगा, इस बात की संभावना कम है।

क्‍या है मिशन का मकसद
लूना-25 का लक्ष्य दक्षिणी ध्रुव पर एक साल तक अपने मिशन को अंजाम देना है। यह वह जगह है जहां पर हाल के कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों ने गड्ढों में जमे हुए पानी के निशान का पता लगाया है। रूसी अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर नजर रखने वाले अनातोली जक की मानें तो सोवियत संघ के मिशन लूना -24 के बाद से किसी भी रूसी अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश नहीं किया है। जैक ने बताया कि इस प्रोजेक्‍ट की सफलता के लिए चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करना बहुत महत्वपूर्ण है। अब जबकि लूना-25 ने यह कर लिया है तो उसने सोवियत दौर के बाद पहली बार ऐसा करके इतिहास रचा है।

रूस के लिए महत्‍वपूर्ण है मिशन

जैक की मानें तो कुछ लोग इसे चंद्रमा के लिए लगी दूसरी रेस कह रहे हैं। इसलिए भी यह रूस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लूना-25 सिर्फ एक मिशन नहीं है बल्कि रूसी रणनीति का एक बड़ा हिस्‍सा है। सन् 1991 में सोवियत संघ का पतन हुआ था। रूस दुनिया का पहला देश था जिसने चांद पर रोबोटिक अंतरिक्षयान की लैंडिंग कराई थी। बाद में भी उसने कई रोबोट अंतरिक्ष यान को लॉन्‍च किया था। लेकिन लूना-25 रूस के लिए बहुत अहमियत रखता है। इस मिशन को पहले यूरोप के साथ साझेदारी में पूरा करना था। मगर यूक्रेन की जंग के बाद यूरोपियन देशों ने अपने हाथ पीछे खींचे लिए।


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