म्यांमार में विद्रोहियों ने सैन्य ठिकानों को किया तबाह, व्यापार के रास्ते पर किया कब्जा, घबराया चीन
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09-11-2023 01:46 PM
बीजिंग: जिस म्यांमार की मिलिट्री का चीन समर्थन करता है, वह भी उसकी चिंताओं को दूर करने में नाकाम साबित हो रही है। जातीय विद्रोही समूहों और सैन्य जुंटा के गठबंधन के बीच बढ़ती झड़पों की वजह से म्यांमार में ताजा उथल-पुथल की स्थिति है। ऐसे में चीन की अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा सुरक्षा के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। हाल ही में विद्रोहियों ने चीन के लिए एक प्रमुख व्यापार मार्ग पर कब्जा कर लिया है। जबकि म्यांमार चीन सीमा पर स्थित कई सैन्य ठिकानों पर भी उनका नियंत्रण है। कब्जा कर लिया है। इस नए घटनाक्रम के बाद चीन के कई प्रोजेक्ट्स खतरे में आ गए हैं।
विद्रोहियों से परेशान चीन सूत्रों के अनुसार विद्रोहियों ने 27 अक्टूबर को शान राज्य के हसेनी शहर में नामतू नदी पर बने एक पुल को उड़ा दिया। इसके साथ ही उन्होंने चीनी सीमा के आसपास 60 से अधिक जुंटा ठिकानों पर कब्जा कर लिया। यह पुल जो शान राज्य की लैशियो-म्यूज रोड पर है, चीन और म्यांमार के बीच व्यापार का महत्चपूर्ण रास्ता है। एक अनुमान के मुताबिक म्यांमार और चीन के बीच हर साल इस रास्ते से करीब 80 फीसदी तक व्यापार होता है। पुल म्यांमार को चीन के युन्नान प्रांत के रुइली शहर से जोड़ता है।
म्यांमार की सेना ने इस घटना पर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन बताया जा रहा है कि संयुक्त जातीय विद्रोही समूहों के गठबंधन की तरफ से जुंटा के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाया गया था। इसमें म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (एमएनडीएए), अराकान आर्मी (एए) और वा शामिल थे। नेशनल लिबरेशन आर्मी के सूत्रों ने बताया कि विद्रोहियों ने कई सैन्य ठिकानों और पुलिस चौकियों पर कब्जा कर लिया है। विद्रोहियों ने चीनी सीमा के पास स्थित व्यापारिक शहर चिन श्वे हॉ पर भी कब्जा कर लिया है।
क्या है इस रास्ते की अहमियत लैशियो-म्यूज रोड को म्यांमार और चीन के बीच बॉर्डर ट्रेड का एंट्री गेट माना जाता है। चार लेन वाली 48 फीट चौड़ी लैशियो-म्यूज रोड चीन को अरबों डॉलर वाले चीन म्यांमार आर्थिक गलियारे (सीएमईसी) के लिए लाखों डॉलर की कीमत के उपकरण और संसाधनों को सुरक्षित करने की भी सुविधा प्रदान करती है। चीन ने कहा है कि वह म्यांमार के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, 'हम संबंधित पक्षों से जल्द से जल्द युद्धविराम करने, बातचीत और आपसी सलाह-मशविरे के माध्यम से विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने, स्थिति को बढ़ने से रोकने और चीन-म्यांमार सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की अपील करते हैं।'
क्यों डरा हुआ है चीन म्यांमार-चीन संबंधों के जानकारों की मानें तो चीन को डर है कि अगर जुंटा और विद्रोहियों के बीच संघर्ष बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर सीमा से सटे चीनी क्षेत्रों पर पड़ेगा। देश में सैन्य शासन का विरोध करने वाले म्यांमार के सशस्त्र विद्रोहियों का एक बड़ा वर्ग चीन के जातीय समूहों के साथ जातीय और सांस्कृतिक संबंध साझा करता है। उदाहरण के लिए, जिनफोस और म्यांमार का काचिन एक ही स्टॉक के हैं। इसी प्रकार, वा जातीय समूह सीमा के दोनों ओर पाया जाता है, जबकि म्यांमार के कोकांग और चीन के हान मंदारिन भाषा बोलते हैं।
क्यों हैं चीन की नजरें म्यांमार स्थित थिंक-टैंक इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजी एंड पॉलिसी (आईएसपी) द्वारा अगस्त 2022 में एक सर्वे किया गया था। इस सर्वे के मुताबिक 55 फीसदी लोगों ने चीन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण जताया था। 58 फीसदी लोग चीन के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार के रूप में अपने देश की स्थिति से नाखुश हैं। 83 फीसदी लोगों ने कहा कि चीन के युन्नान प्रांत को हिंद महासागर से जोड़ने के लिए बनी सीएमईसी का ज्यादातर लाभ चीन को ही मिलेगा। म्यांमार चीन को दुर्लभ प्राकृति संसाधन मुहैया कराता है। इनका उपयोग वह मिसाइलों, हथियारों, रडार और फाइटर जेट्स के अहम पार्ट्स बनाने में करता है।
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