इन परेशानियों का भी करना पड़ता है सामना
ऐसा नहीं है कि देरी से रिटर्न फाइल करने पर आप सिर्फ जुर्माना देकर ही बच निकल जाएंगे। आपको और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ये इस प्रकार हैं:
अगर आप 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल कर देते हैं और रिटर्न में कोई गलती हो जाती है या कोई जानकारी छूट जाती है तो आप रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने का आखिरी तारीख 31 दिसंबर है। इस तारीख तक आप कितनी भी बार रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की न तो कोई फीस देनी पड़ती और न ही किसी तरह का जुर्माना लगता है।
ऐसा नहीं है कि देरी से रिटर्न फाइल करने पर आप सिर्फ जुर्माना देकर ही बच निकल जाएंगे। आपको और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ये इस प्रकार हैं:
- जहां आप जॉब करते हैं, उस कंपनी ने अगर ज्यादा TDS काट लिया है तो उसे रिटर्न फाइल करते समय क्लैम कर सकते हैं। रिटर्न फाइल करने के बाद इस रकम को अकाउंट में आने में करीब एक महीने तक का समय लगता है। देरी से रिटर्न फाइल करेंगे तो यह रकम भी देरी से मिलेगी।
- अगर आपकी कोई देनदारी बनती है तो उस रकम पर एक फीसदी प्रति महीने का ब्याज लगता है। यह ब्याज 1 अप्रैल से काउंट किया जाता है और उस तारीख तक लिया जाता है, जिस तारीख को आप रिटर्न फाइल करते हैं। ऐसे में टैक्स की देनदारी चुकाना और महंगा पड़ जाता है।
- देरी से रिटर्न फाइल करने पर लोन आदि मिलने में भी परेशानी आती है। काफी बैंक लोन के लिए आईटीआर की मांग करते हैं। अगर अप बैंक को बिलेटेड रिटर्न दिखाएंगे तो इससे लोन मिलने में परेशानी आ सकती है।
अगर आप 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल कर देते हैं और रिटर्न में कोई गलती हो जाती है या कोई जानकारी छूट जाती है तो आप रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने का आखिरी तारीख 31 दिसंबर है। इस तारीख तक आप कितनी भी बार रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की न तो कोई फीस देनी पड़ती और न ही किसी तरह का जुर्माना लगता है।