इंदौर। निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक करीब 11.5 किमी लंबा बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) प्रोजेक्ट शहरहित में है या इसे तोड़ना पडेगा, यह फैसला अब इंदौर से नहीं बल्कि जबलपुर से होगा। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बीआरटीएस प्रोजेक्ट को लेकर चल रही दोनों जनहित याचिकाओं को हाई कोर्ट की मुख्यपीठ (जबलपुर) ट्रांसफर कर दिया है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधिपति के समक्ष मामले में सुनवाई होना थी लेकिन नंबर ही नहीं आया।
हाई कोर्ट द्वारा गठित पांच सदस्यीय कमेटी में वरिष्ठ अभिभाषक अमित अग्रवाल, आईआईएम और आईआईटी के डायरेक्टर द्वारा नामित एक एक विशेषज्ञ शामिल थे। कोर्ट इसके पहले भी वर्ष 2013 में बीआरटीएस की उपयोगिता और व्यवहारिकता की जांच के लिए कमेटी गठित कर चुकी है।
शहर में लगातार वाहनों की जांच की जा रही है, इसके बावजूद बगैर वैध दस्तावेज के वाहनों का परिवहन किया जा रहा है। इसमें बड़ी बात यह है कि स्कूली वाहनों का संचालन भी बगैर परमिट और फिटनेस के किया जा रहा है। इसी कड़ी में मंगलवार को एआरटीओ ने देपालपुर स्थित एक स्कूल के चार वाहनों को जब्त कर लिया।
चारों वाहन बगैर परमिट और फिटनेस के संचालित हो रहे थे। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय द्वारा शहर में वाहनों की गति, स्पीड गवर्नर सहित अन्य दस्तावेजों की जांच लोक परिवहन और स्कूली वाहनों में की जा रही है।स्कूली वाहनों के मामले में बच्चों और पालकों से चालक और परिचालक को लेकर चर्चा की जा रही है। एआरटीओ राजेश गुप्ता के द्वारा मंगलवार को देपालपुर स्थित सहोदय कान्वेंट स्कूल के वाहनों की जांच की गई।
वाहनों की जांच में चार वाहन बगैर परमिट के संचालित होना पाए गए। इनको मौके पर ही जब्त किया गया।