पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान यह कलेक्शन लगभग 8,200 करोड़ रुपये होने का अनुमान था। इसमें से आधा हिस्सा राज्यों को मिलता है। यानी जीएसटी हटने पर उन्हें 4,100 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसके अलावा उन्हें केंद्रीय जीएसटी का 41% हिस्सा मिलता है। यानी इस पर भी उन्हें नुकसान होगा। एक अधिकारी ने कहा कि राज्यों के पास अब पहले की तरह कोई सहारा नहीं है। तब वे किसी भी टैक्स कटौती के लिए तैयार रहते थे क्योंकि केंद्र मुआवजा उपकर के जरिए उनके राजस्व घाटे की भरपाई कर रहा था। राजस्व खोने के डर से कई राज्यों ने टैक्स स्लैब स्ट्रक्चर में बदलाव का विरोध किया है। इनमें पश्चिम बंगाल और कर्नाटक शामिल हैं।