नई दिल्ली। कोरोना
महामारी के पहले होटल इंडस्ट्री का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन अब होटलों को
नुकसान उठाना पड़ रहा है। लॉकडाउन ने होटल इंडस्ट्री के बिजनेस को लगभग खत्म ही कर
दिया। शुरुआती दौर में माना जा रहा था कि कोरोना से पहले की स्थिति तक पहुंचने के लिए
होटलों को कम से कम 1 साल का समय लग जाएगा। यानी जो रूम रेट और होटल में ग्राहकों की
जितनी संख्या कोरोना के आने से पहले थी उस लेवल तक 1 साल से पहले नहीं पहुंचा जा सकेगा।
अब अनुमान है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से बाहर निकलने में होटल इंडस्ट्री को अभी
लंबा वक्त लगेगा।
पिछले 1 महीने में जिस तरह से कोरोना अपना विकराल रूप धारण करता जा रहा है, उसे देखते हुए ये साफ होता है कि ट्रैवलिंग पर बहुत बुरा असर पड़ा है, जिससे होटल का बिजनेस काफी प्रभावित हुआ है। भारत के एक बड़े होटल ईआईएच ने अपनी 2020 की एनुअल रिपोर्ट में कहा है कि जो रूम रेट और होटल में ग्राहकों की जितनी संख्या कोरोना के आने से पहले थी उस लेवल तक पहुंचने में होटल इंडस्ट्री को कम से कम 2 साल का समय लगेगा। होटल ने कहा था कि कोरोना की वजह से इस साल और अगले साल बहुत ही कम विदेशी भारत आएंगे। ऐसे में होटल इंडस्ट्री को घरेलू पर्यटकों पर फोकस करना शुरू कर देना चाहिए। अब हॉस्पिटैलिटी रिसर्च फर्म एचवीएस एनारॉक इंडिया ने भी यही कहा है कि होटल इंडस्ट्री को कोरोना से पहले के लेवल तक लौटने में कम से कम 2 साल लग जाएंगे। इंडस्ट्री को लेकर अनुमान लगाया गया है कि 2022 तक औसत ऑक्युपेंसी 65.5 फीसदी तक बढ़ाएंगे और रूम रेट 5,793 रुपये प्रति रूम तक हो सकता है। अभी ऑक्युपेंसी 34.5 फीसदी है और प्रति रूम का चार्ज औसतन 4,850 रुपये है।