नई दिल्ली । विश्व
बैंक का कहना है कि कोविड-19 संकट के बाद भारत सुधारों के जरिए 7 फीसदी का विकास दर
प्राप्त कर सकता है। इसके लिए सरकार को स्वास्थ्य, श्रम, भूमि, कौशल और वित्तीय क्षेत्रों
में महत्वपूर्ण सुधारों को लागू करना होगा। विश्व बैंक ने जुलाई, 2020 के लिए बुधवार
को जारी अपनी रिपोर्ट ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट में इन बातों का जिक्र किया है। इसमें
कहा गया है कि भारत में होने वाले इन सुधारों का उद्देश्य घरेलू अर्थव्यवस्था में उत्पादकता,
निजी निवेश और निर्यात बढ़ाने वाला होना चाहिए। कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम करने
के लिए सरकार रिजर्व के साथ मिलकर काम कर रही है। विश्व बैंक ने कोविड-19 की महामारी
के बीच भारत की आर्धिक वृ्द्धि दर के अपने पूर्वानुमान में और कटौती के संकेत दिए हैं।
विश्व बैंक ने इस ताजा रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों के कुल कर्ज
में अगले 2 साल तक भारी बढ़ोतरी होगी। ये बढ़ोतरी 2022-23 तक बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद
(जीडीपी) के 89 फीसदी तक पहुंच जाएगा, जिसमें धीरे-धीरे गिरावट आने लगेगी। विश्व बैंक
की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल केंद्र सरकार का घाटा बढ़कर जीडीपी के 6.6 फीसदी
पर पहुंच जाएगा। हालांकि अगले साल ये घाटा 5.5 फीसदी पर रह सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक
यदि राज्य सरकारों के वित्तीय घाटे के अनुमान को भी मिला दिया जाए, तो वित्त वर्ष
2020-21 में कुल वित्तीय घाटा जीडीपी के 11 फीसदी के बराबर रहने की आशंका है। कोविड-19
की बजह से सरकार की आय घटी है और नए खर्च बढ़े हैं, जिसकी वजह से अगले दो साल तक केंद्र
और राज्य सरकारों के वित्तीय घाटा और कर्ज में बेतहाशा बढ़ोतरी हो सकती है। गौरतलब है
कि विश्व बैंक ने मई में कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था में इस वित्त वर्ष में
3.2 फीसदी की गिरावट आ सकती है।