FD से मुंह मोड़ रहे हैं तो इक्विटी सेविंग्स फंड्स हैं ना, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
Updated on
24-06-2024 02:22 PM
नई दिल्ली: देश में ज्यादातर लोग एफडी कराना पसंद करते हैं। अब लोग अच्छे रिटर्न की तलाश में म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने लगे हैं। वेल्थ मैनेजर्स का मानना है कि बढ़ते मूल्यांकन के बीच फिक्स्ड डिपॉजिट से निवेश निकाल रहे निवेशक इक्विटी बचत फंडों में निवेश पर विचार कर सकते हैं। ये फंड आपके निवेश का 15 से 25 फीसदी बड़ी सरकारी कंपनियों में लगाते हैं। वहीं इक्विटी पर लगने वाले टैक्स का लाभ देते हैं। बता दें कि इक्विटी सेविंग्स फंड्स हाइब्रिड कैटेगरी के फंड हैं। वे इक्विटी, डेट और आर्बिट्रेज अवसरों के मिश्रण में निवेश करते हैं। इस कैटेगरी की एक योजना इक्विटी और डेट सिक्योरिटीज में निवेश करती है, जिसमें तीन निवेश नेट लॉन्ग इक्विटी, आर्बिट्रेज प्ले और डेट का संयोजन होते हैं। नेट लॉन्ग इक्विटी एक्सपोजर आम तौर पर लार्ज-कैप कंपनियों में होता है, जो पूंजी में इजाफा करता है। वहीं आर्बिट्रेज अवसरों और डेट सिक्योरिटीज में आवंटन आय प्रदान करता है और पोर्टफोलियो के लिए स्थिर रिटर्न उत्पन्न करता है।
पोर्टफोलियो का स्ट्रक्चर क्या है?
आमतौर पर, इक्विटी पोर्टफोलियो का 65-90% हिस्सा हो सकता है। इसमें से आर्बिट्रेज अवसर 25-75% हो सकते हैं। फंड मैनेजर की रणनीति के आधार पर अनहेज्ड इक्विटी 15-40% हो सकते हैं। वहीं डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स शेष 10-35% बनाते हैं। अगर फंड मैनेजर इक्विटी पर पॉजिटिव है तो वह आमतौर पर पोर्टफोलियो में हाई एलोकेशन का ऑप्शन चुनता है। फंड मैनेजर आमतौर पर इसे 15-25% पर रखते हैं। इनमें इक्विटी में मुख्य रूप से लार्ज-कैप कंपनियां शामिल होती हैं।
इन फंड्स पर टैक्स कैसे लगता है?
इन योजनाओं का पोर्टफोलियो इस तरह से बनाया गया है कि स्टॉक और आर्बिट्रेज में निवेश की गई राशि 65% से ऊपर बनी रहे। इसलिए, टैक्सेशन के उद्देश्य से इन्हें इक्विटी म्यूचुअल फंड के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। अगर होल्डिंग अवधि एक वर्ष से कम है, तो निवेशक 15% अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करते हैं। एक वर्ष से ज्यादा की होल्डिंग अवधि और 1 लाख से अधिक लाभ के लिए 10% दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करते हैं, जिससे ये योजनाएं 30% कर स्लैब में निवेशकों के लिए आकर्षक बन जाती हैं।
किसके लिए उपयुक्त हैं?
पिछले तीन वर्षों में, वैल्यू रिसर्च के डेटा के मुताबिक, इस श्रेणी के फंड ने 9.39% का रिटर्न दिया है। वित्तीय योजनाकारों का मानना है कि ये योजनाएं तीन वर्षों में सावधि जमा से ज्यादा रिटर्न चाहने वाले निवेशकों, पहली बार म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों, और शुद्ध इक्विटी फंड में उच्च अस्थिरता के बारे में चिंतित निवेशकों के लिए काम करती हैं। ये फंड आम तौर पर कम अस्थिरता वाले इक्विटी एक्सपोजर की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं और जिनकी अवधि 1-3 वर्ष होती है।
नई दिल्ली: भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने परमाणु ऊर्जा के लिए बड़ा प्लान बनाया है। कंपनी की प्लानिंग अगले 23 वर्षों में लगभग 20 गीगावाट की…
नई दिल्ली: पिछले गुरुवार को अमेरिकी कोर्ट के एक आदेश ने अडानी ग्रुप को हिला कर रख दिया था। रिश्वत देने और धोखाधड़ी के आरोप के बाद अडानी स्टॉक्स में लोअर…
मुंबई: राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) का नाम आपने जरूर सुना होगा। दुनिया उन्हें 'बिग बुल' (Big Bull) के नाम से जानती है। उन्होंने मात्र 5,000 रुपये से 40,000 करोड़ रुपये…
नई दिल्ली: शेयर मार्केट गुरुवार को धड़ाम हो गई। सेंसेक्स में जहां 1100 अंकों को ज्यादा की गिरावट आई तो वहीं निफ्टी भी 350 अंकों से ज्यादा गिर गया। इस गिरावट…
नई दिल्ली: शेयर मार्केट में पिछले लंबे समय से उतार-चढ़ाव बना हुआ है। कभी किसी दिन सेंसेक्स ऊंची छलांग मारता है तो किसी दिन धड़ाम हो जाता है। इस बीच कई…
नई दिल्ली: कथित तौर पर रिश्वत देने और धोखाधड़ी के आरोप में घिरे गौतम अडानी को लेकर पूर्व अटॉर्नी जनरल और सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने कहा कि…
नई दिल्ली: कोका कोला और पेप्सी के बाद अब मुकेश अंबानी ने पारले और ब्रिटानिया जैसी कंपनियों की टेंशन बढ़ा दी है। रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी अब ब्रिटानिया, हिंदुस्तान यूनिलीवर ,…